Rohitashwa Mishra 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Rohitashwa Mishra 18 Apr 2017 · 1 min read एक ग़ज़ल "बह्र-ए-जमील" पर इक अजनबी दिल चुरा रहा था। करीब मुझ को' बुला रहा था। वो' कह रहा था बुझाए'गा शम्स, मगर दिये भी जला रहा था। वो' ज़ख़्म दिल के छुपा के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 294 Share