ravi bhujang 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ravi bhujang 8 Oct 2017 · 1 min read रात अमावस भरी, पूर्णिमा हो गई। देखकर इन नयन,रूप,श्रृंगार को, रात अमावस भरी, पूर्णिमा हो गई। पास हो तुम मेरे, दूर भी हो मगर, मैं धरा, और तुम आसमां हो गई। - - पूछना तुम ज़रा... Hindi · कविता 225 Share ravi bhujang 4 Feb 2017 · 1 min read वानर ये लगातार घूमती पृथ्वी। लगातार मरते दिन और लगातार क़त्ल होती रातें। जो, अभी हूँ मैं, तो खलता मेरा होना, मेरे बाद मेरा होना, तो क्या मेरा होना। तिनके से... Hindi · कविता 340 Share ravi bhujang 17 Jan 2017 · 1 min read थोड़ा इश्क़ तुम समय काटने के लिए, इश्क़ का सहारा लेते हो! ग़ालिब की ग़ज़ले सुनकर बड़े हुएं, और अब ग़ालिब से बड़ा होना चाहते हो! तुमने कुछ इश्क़ किया, कुछ चाय... Hindi · कविता 265 Share