पंकज परिंदा Tag: कविता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid पंकज परिंदा 6 Feb 2017 · 1 min read शून्य सा अवशेष मैं... इन शून्य विहीन आँखों से जब निहारता में शून्य को, तो शून्य सा अवशेष मैं खो रहा इस शून्य में, इंसान भी निज स्वार्थ में हो गया अब शून्य है,... Hindi · कविता 333 Share