Suneel Pushkarna 56 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Suneel Pushkarna 25 Jul 2016 · 1 min read विलीन हो जाता है "विलीन" धरा के कोख़ में एक बीज.... विशाल दरख़्त में परिवर्तन पाने के लिए धरा के साथ विद्रोह एवं क्रान्ति कर... धरा के सीने को चीर कर... Hindi · कविता 1 425 Share Suneel Pushkarna 25 Jul 2016 · 1 min read दफ़न अपने आप में ही दफ़न हुए जाते हैं फिर भी शिकायत है इस ज़माने को हम इसे समझ नहीं पाते हैं इसको समझने में अपने को समझाने में ये उम्र... Hindi · कविता 1 287 Share Suneel Pushkarna 25 Jul 2016 · 1 min read समुद्र मंथन यदि एक बार फिर से हो जाए... "समुद्र मंथन" तो नहीं होगी लड़ाई "अमृत" के लिए... अब तो लड़ाई होगी "विष" के लिए क्यूंकि लम्बी उम्र के आशीर्वाद भी अभिशाप... Hindi · कविता 1 905 Share Suneel Pushkarna 25 Jul 2016 · 1 min read वक़्त घड़ी की टिक-टिक करके बढ़ती सुइंयाँ कर जाती हैं इशारा... पल भर में देखना चाहते हो जितना... देख लो उतना... क्यूंकि अगला पल मैंने किसी और के नाम कर रखा... Hindi · कविता 1 506 Share Suneel Pushkarna 25 Jul 2016 · 1 min read सफर सफर में साथ चलने वाले सभी तो नहीं होते हमसफ़र सभी तो होते हैं नितान्त,अजनबी जिन से नहीं होता कुछ भी परिचय फिर भी सफर में ये बन जाते हैं... Hindi · कविता 1 293 Share Suneel Pushkarna 25 Jul 2016 · 1 min read अजनबी अजनबी के साथ सफर में हम सफर बनना कितना अच्छा लगता है उस वक्त नहीं होती कहीं उम्र नहीं होता कोई बन्धन होता है तो बस साथ चलते रहने का... Hindi · कविता 1 520 Share Previous Page 2