Neelam Sharma Tag: कुण्डलिया 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Neelam Sharma 29 Jan 2024 · 1 min read कवि मोशाय। जहाँ न पहुँचे ओज रवि,पहुँचे कवि मोशाय। मंच प्रपंच मलीन सब, रहे ठहाके लाय।। रहे ठहाके लाय, छूटे हँसी फव्वारे। गुँजित हैं धरा गगन, लोट पोट हुए सारे।। जन में... Poetry Writing Challenge-2 · कुण्डलिया 1 183 Share Neelam Sharma 29 Jan 2024 · 1 min read बीन अधीन फणीश। १) झूमे नाचे बीन पर,बीन अधीन फणीश। भाता महुअर व्याल क्यों,सोचत उरग महीश।। सोचत उरग महीश,सपेरा परम चितेरा। पोषण साधन उभय,यही जन्मों का फेरा।। एकत्व साधे काज,भँवर कर्मों का घूमें।... Poetry Writing Challenge-2 · कुण्डलिया 1 189 Share