नीलम नवीन 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid नीलम नवीन 28 May 2017 · 1 min read दीवारें दीवारें बहुत लंबी उम्र लेकर आती है इंसान से भी अधिक पर एक समय के बाद उनमें पसरी नमी,सीलन से बस वे छुने भर से ही भरभरा जाती हैं जाने... Hindi · कविता 705 Share नीलम नवीन 5 May 2017 · 1 min read प्रारब्ध मुद्दतों बाद कुछ कदम खुद के लिए थे खुरदरी सी सतह पर । कब से यूँ ही अनजाने भटक रहे थे किसी अनकही राह पर । नरम से कुछ अहसास... Hindi · कविता 987 Share नीलम नवीन 19 Mar 2017 · 1 min read बुलबुला पानी के कई अनगिनत से बताशे रोज मेरे खेलों में बनते बिगड़ते है आज फिर खुब चमकता सा एक बुलबुला अनायास हवा में गुम होता चला गया । ऐसे ही... Hindi · कविता 806 Share नीलम नवीन 24 Feb 2017 · 1 min read आदमी में गांव किसी पुरानी किताब के कई छुटे पन्ने धुमिल स्याही के आखरों जैसे क्ई गांव बुड़ा गये और कुछ पलायन में खो गये, व निगल गयी आधुनिकता ! सही में विकास... Hindi · कविता 353 Share नीलम नवीन 22 Feb 2017 · 1 min read कितने संघर्ष आसान हुऐ धुंध के मानिंद आज एक बार सुरों से अलग फिर कहीं गुजरे सोंचों के झांझावतों चिरपिरिचत विचारों में किसी राहगीर की तरह परंतु बिना किसी योजन मानचित्र के, बस यूंही... Hindi · मुक्तक 1 881 Share नीलम नवीन 13 Feb 2017 · 1 min read समाज एक दूसरे के पुरक मानव व समाज खोजते हैं आपस में अच्छे लोग,अच्छे दिन संस्कार एवं सभ्यतायें सुंदर भारत समृद्ध गाॅव साफ राजनीति बेदाग नेता जबकि हर तरफ समाज पर... Hindi · कविता 346 Share नीलम नवीन 12 Feb 2017 · 1 min read हर बार की तरह धूप से दिये जलायें आशाओं के कहीं जुगनु मिल जायें अंधेरों में, बीता साल ढलती सांझ में सोते सुरज को, थपकी दे रहा हो, दे कर खट्टी मिठ्ठी यादें तितलियों... Hindi · गीत 414 Share नीलम नवीन 11 Feb 2017 · 1 min read अभिव्यक्ति कुछ मौन होती अभिव्यक्ति जो आज स्मरण हो आयी मानस में ताजी बर्फ में चीनी घोल खाना हथेली में बर्फ देर तक रखने में रिकार्ड तोड़ने की अजब शान कहां... Hindi · कविता 1 457 Share नीलम नवीन 10 Feb 2017 · 1 min read बडा हो गया बचपन जादू की पोटली अलादीन के चिराग रंगीन सी बातों रंगों ,सपनों में गुम चंपक नंदन की बातें कागज की नाव लकडी मिट्टी के खिलौने अब वैसे नही हो तुम कहीं... Hindi · कविता 721 Share नीलम नवीन 10 Feb 2017 · 1 min read महक जिसने मुफलिसी न देखी हो वो क्या सच में गीत भाव रचेंगे ! सोचो!रोटी कपडा मकान को लाँघ, आगे गयी जिनकी भूख व चाह ! परंतु आज भी कई वेदनाओं... Hindi · कविता 911 Share