मोहित शर्मा ज़हन Tag: ग़ज़ल/गीतिका 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मोहित शर्मा ज़हन 13 Aug 2024 · 1 min read कुछ शामें गुज़रती नहीं... (काव्य) कुछ लंबी शामें सिरहाने पड़ी... बीतने का नाम न ले रहीं। कुछ दबी शिकायतें अनकही, कुछ रूठी सदाएँ अनसुनी। एक दुनिया को कहते थे सगी, हमारे मखौल से उसकी महफ़िलें... Hindi · कविता · ग़ज़ल/गीतिका · मुक्तक 1 75 Share मोहित शर्मा ज़हन 14 Jul 2019 · 1 min read शहर के पेड़ से उदास लगते हो… दबी जुबां में सही अपनी बात कहो, सहते तो सब हैं… …इसमें क्या नई बात भला! जो दिन निकला है…हमेशा है ढला! बड़ा बोझ सीने के पास रखते हो, शहर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 491 Share मोहित शर्मा ज़हन 20 Jun 2019 · 1 min read रूठ लो कुछ रास्तों की अपनी जुबां होती है, कोई मोड़ चीखता है, किसी कदम पर आह होती है... पूछे ज़माना कि इतने ज़माने क्या करते रहे? ज़हरीले कुओं को राख से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 446 Share मोहित शर्मा ज़हन 5 Aug 2018 · 1 min read दांव रोटी के रेशों में चेहरा दिखेगा, उजली सहर में रंग गहरा दिखेगा। सच्चे किस्सों पर झूठा मोल मिलेगा, बीते दिनों का रास्ता गोल मिलेगा। किसको मनाने के ख्वाब लेकर आये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 567 Share मोहित शर्मा ज़हन 24 May 2018 · 1 min read ख्याल…एहसास एक ही मेरा जिगरी यार, तेरी चाल धीमी करने वाला बाज़ार… मुखबिर एक और चोर, तेरी गली का तीखा मोड़। करवाये जो होश फ़ाख्ता, तेरे दर का हसीं रास्ता… कुचले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 261 Share मोहित शर्मा ज़हन 26 Jan 2018 · 1 min read रहनुमा अक्स (नज़्म) पिघलती रौशनी में यादों का रक़्स, गुज़रे जन्म की गलियों में गुम शख़्स, कलियों की ओस उड़ने से पहले का वक़्त। शबनम में हरजाई सा रंग आया है, जबसे तेरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 551 Share मोहित शर्मा ज़हन 2 Dec 2017 · 1 min read खाना ठंडा हो रहा है! साँसों का धुआं, कोहरा घना, अनजान फितरत में समां सना, फिर भी मुस्काता सपना बुना, हक़ीक़त में घुलता एक और अरमान खो रहा है... ...और खाना ठंडा हो रहा है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 293 Share मोहित शर्मा ज़हन 2 Dec 2017 · 1 min read पैमाने के दायरों में रहना... पैमाने के दायरों में रहना, छलक जाओ तो फिर ना कहना... जो जहां लकीरों की कद्र में पड़ा हो उस से पंखों के ऊपर ना उलझना... किन्ही मर्ज़ियों में बिना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 225 Share