Mahatam Mishra Tag: कुण्डलिया 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mahatam Mishra 20 Dec 2017 · 1 min read “कुंडलिया” “कुंडलिया” मैया का पूजन करें, निशदिन आठो याम सूर्य उपासन जल मही, छठ माँ तेरे नाम छठ माँ तेरे नाम, धाम की महिमा भारी माँग भरें सिंदूर, पूरती चौका नारी... Hindi · कुण्डलिया 367 Share Mahatam Mishra 6 Dec 2017 · 1 min read “कुंडलिया” “कुंडलिया” बैठी क्यों उदास सखी घिरी खुद के बिस्तर। सौंप हाथ को तूलिका ताक रही है ब-ख्तर। ताक रही हैं ब-ख्तर किससे तेरी लड़ाई। क्यूँ भागे तू दूर परस्पर प्रीत... Hindi · कुण्डलिया 414 Share Mahatam Mishra 29 Sep 2016 · 1 min read कुंडलिया "कुंडलिया" मानव के मन में बसी, मानवता की चाह दानव की दानत रही, कलुष कुटिलता आह कलुष कुटिलता आह, मुग्ध पाजी पाखंडी वंश वेलि गुमराह, कर खल नराधम दंडी कह... Hindi · कुण्डलिया 536 Share Mahatam Mishra 25 Sep 2016 · 1 min read कुंडलिया "कुंडलिया" मानव के मन में बसी, मानवता की चाह दानव की दानत रही, कलुष कुटिलता आह कलुष कुटिलता आह, मुग्ध पाजी पाखंडी वंश वेलि गुमराह, कर खल नराधम दंडी कह... Hindi · कुण्डलिया 661 Share Mahatam Mishra 23 Sep 2016 · 1 min read कुंडलिया चित्र अभिव्यक्ति- “कुंडलिया” बर्फ़ीले पर्वत धरें, चादर अमल सफ़ेद लाल तिरंगा ले खड़ा, भारत किला अभेद भारत किला अभेद, हरा केसरिया झंडा धवल मध्य में चक्र, शांति सुनहरा डंडा कह... Hindi · कुण्डलिया 366 Share Mahatam Mishra 21 Sep 2016 · 1 min read कुंडलिया “कुंडलिया” ढोंगी करता ढोंग है, नाच जमूरे नाच बांदरिया तेरी हुई, साँच न आए आंच साँच न आए आंच, मुर्ख की चाह बावरी हो जाते गुमराह, काटते शीश मदारी कह... Hindi · कुण्डलिया 677 Share Mahatam Mishra 15 Sep 2016 · 1 min read कुंडलिया “कुंडलिया” अनंत चतुर्थी पावनी, गणपति गिरिजा नेह विघ्न विनाशक को नमन, शिव सुत सत्य स्नेह शिव सुत सत्य स्नेह, गजानन आभा मंडित वेदों के रखवार, ज्ञान गुरुता के पंडित कह... Hindi · कुण्डलिया 389 Share Mahatam Mishra 9 Sep 2016 · 1 min read कुंडलिया “कुण्डलिया छंद” गुरुवर साधें साधना, शिष्य सृजन रखवार बिना ज्ञान गुरुता नहीं, बिना नाव पतवार बिना नाव पतवार, तरे नहि डूबे दरिया बिन शिक्षा अँधियार, जीवनी यम की घरिया कह... Hindi · कुण्डलिया 544 Share Mahatam Mishra 6 Sep 2016 · 1 min read कुंडलिया एक कुण्डलिया छंद. ( ढेल- मोरनी, टहूंको- मोर की बोली) नाचत घोर मयूर वन, चाह नचाए ढेल चाहक चातक है विवश, चंचल चित मन गेल चंचल चित मन गेल, पराई... Hindi · कुण्डलिया 420 Share