महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali Language: Sanskrit 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 16 Dec 2022 · 1 min read विश्वगुरुराष्ट्रं कर्तुं प्राचीनवैभवं प्रति प्रत्यागन्तुम् विश्वगुरुराष्ट्रं कर्तुं सर्वेषां सांस्कृतिक उत्थानम् ध्वजः सर्वेषां शाश्वतगीतं भवेत् हिन्दुत्वम् अग्रे आनेतव्यम् अस्ति *** Sanskrit · श्लोक 2 162 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 16 Dec 2022 · 1 min read 'सेल्फी' 'स्वयामी' इति वदन्तु 'सेल्फी' 'स्वयामी' इति वदन्तु, हिन्दीभाषायां सर्वे। सर्वे नवयुगस्य अन्तर्जालस्य, उपयोगं कुर्वन्ति।। *** * __________________ सेल्फ़ी’ को ‘स्वयमी’ कहें, हिन्दी में सब लोग। नवयुग अन्तरजाल का, सब करते उपयोग।। Sanskrit · श्लोक 2 265 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 29 Sep 2021 · 1 min read अतिप्राचीना च नूतन: संस्कृत: श्लोक: अतिप्राचीना संस्कृत: श्लोक: उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। यथा सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति न मुखेन मृगाः।। हिन्दी भावार्थ: कार्य परिश्रम करने से सम्पूर्ण होते हैं, मन में इच्छा करने से... Sanskrit · श्लोक 2 1 498 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Sep 2021 · 1 min read अतिप्राचीना संस्कृतम् देववाणी सनातनम् शब्दग्राह्य विशेषता अतिप्राचीना संस्कृतम् ••• *तीन पंक्तियों में रचा जनक छन्द। सबसे सहज प्रवाह के लिए जाना जाता है। यह दोहे के प्रथम चरण (13 मात्राओं) के तीन... Sanskrit · काव्य 1 1 666 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Sep 2021 · 1 min read प्रवाहिता मन्दाकिनी सुख-दु:ख रूपम वाहिनी प्रदानम् महामोक्ष मम प्रवाहिता मन्दाकिनी ••• ________________________ *तीन पंक्तियों में रचा जनक छन्द। सबसे सहज प्रवाह के लिए जाना जाता है। यह दोहे के प्रथम चरण (13... Sanskrit · काव्य 1 1 360 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Sep 2021 · 1 min read भारतभूमि विशेषता इह विविधताय एकता संपूर्ण: विश्व दृष्टया भारतभूमि विशेषता ••• ________________________ *तीन पंक्तियों में रचा जनक छन्द। सबसे सहज प्रवाह के लिए जाना जाता है। यह दोहे के प्रथम चरण (13... Sanskrit · काव्य 1 1 466 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 26 Sep 2021 · 1 min read रामायण: ज्ञानवृष्टि विश्वविख्यात: श्लोक: महर्षि वाल्मीकी— "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" (इह अस्ति राष्ट्रे निर्माणे सम्पूर्ण: कड़ी) एकम् रूपम महर्षि भारद्वाजे, सम्बोधित: राम:— मित्राणि धन धान्यानि प्रजानां सम्मतानिव । जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि... Sanskrit · श्लोक 3 1 1k Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 26 Sep 2021 · 1 min read संस्कृतम् शरणं गच्छामि हे मित्रम, संस्कृतिं शरणं गच्छामि सर्वदा! हे मित्रम, राष्ट्रगौरवं शरणं गच्छामि सर्वदा!! हे मित्रम, संस्कृतम् शरणं गच्छामि सर्वदा!!! *** ____________________ हिन्दी भावार्थ: — हे मित्र, संस्कृति की शरण लेता हूँ... Sanskrit · काव्य 1 1 347 Share