Kumar Thakur 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kumar Thakur 15 Feb 2018 · 1 min read प्यार हो गया है अब प्रेम फरवरी में व्यापार हो गया है!! दे दो गुलाब गुड्डा बस प्यार हो गया है!! "हग" डे मना रहे हैं फिर देंगे एक "कीस्सी", इक चॉकलेट में ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 450 Share Kumar Thakur 3 Nov 2017 · 1 min read जिंदगी तेरी रज़ा क्या है? जिंदगी तेरी रज़ा क्या है? जी रहा हूं तो खता क्या है? मुफलिसी की इस कहानी में, तिश्नगी है तो मज़ा क्या है? मौतबर कोई रहा होगा, कौन है,उसका पता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 417 Share Kumar Thakur 20 Oct 2017 · 1 min read मिल गये हैं ख़ुशी के ख़ज़ाने मुझे मिल गये हैं ख़ुशी के ख़ज़ाने मुझे ==================== ये गरीबी लगी है डराने मुझे! तंगदस्ती लगी है सताने मुझे! वक़्त रुकता नहीं वो चला जा रहा, मुफलिसी के सुनाते तराने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 412 Share Kumar Thakur 19 Sep 2017 · 1 min read सीता विरह हाइकु ***** सीता विरह है परीक्षा राम की व्याकुल जिया ************** कौन है जीता तुम बिन प्रेयसी राम के सिया ************** प्राण विवश जंगल में तुमने साथ है दिया **************... Hindi · हाइकु 595 Share Kumar Thakur 16 Sep 2017 · 1 min read रात भर याद तेरी सताती रही! रात भर याद तेरी सताती रही! ===================== रात भर याद तेरी सताती रही! याद आती रही याद जाती रही! रात भर सोचता ही रहा हूं तुझे, साथ रंगीन सपने सजाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 294 Share Kumar Thakur 12 Sep 2017 · 1 min read निभाता कौन है निभाता कौन है... =========== रूठ जाओ तो मनाता कौन है टूट जाओ तो सजाता कौन है दूर जाकर लौट आता कौन है वक़्त पर अब काम आता कौन है गर्दिशों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 459 Share Kumar Thakur 11 Sep 2017 · 1 min read आज हैं हम आज हैं हम ... ======== आज हैं हम। दूर है ग़म।। ज़िन्दगी को, क्या मिला कम। आँखें क्यूँ है यार के नम। रात भर तुम ले यहां दम। दूर कर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 272 Share Kumar Thakur 11 Sep 2017 · 1 min read प्रिय आये हैं जल तरंग बज उठा मन में आयी बदरा मन प्रसन्न बरसा बहार में घुली कजरा प्रिय आये हैं जलसेतु बाँध दो चलो कहार खुशी के संग नाचे मन मयूर तन... Hindi · हाइकु 429 Share Kumar Thakur 10 Sep 2017 · 1 min read ज़िन्दगी को छोड़कर जाता रहा... ज़िन्दगी को छोड़कर जाता रहा... =================== रोज़ ही बाज़ार वो जाता रहा। रोज़ खाली हाथ क्यूं आता रहा।। ज़िन्दगी भर मुफलिसी का साथ था, भूख से हर रोज़ ही नाता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 287 Share