Jitendra Anand Tag: कविता 66 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहगीता: गोविंद भी नाम जिनका है गोवर्धनधारी: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट५४)घनाक्षरी घनाक्षरी : प्रभु प्रणाम ३ ------------,गोविंद भी नाम जिनका है गोवर्धनधारी , नित्यरूप, नित्यगुण, नित्य- लीलाधाम हैं । सभीके हैं मूल उत्स , परम आनंद हैं जो , कारणों के... Hindi · कविता 512 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: वासुदेव,केशवकीमाधवकीमोहिनीसी:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट५३) घनाक्षरी प्रभु प्रणाम: घनाक्षरी - २ ---------------------------- वासुदेव, केशव की, माधव की मोहिनी - सी , मोहती जो मोहन की छवि अति प्यारी है । अजर, अव्यग्र, अज, देवकी के वत्स... Hindi · कविता 482 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता" ओंकार,अघनाशक,परमआनंदहैंजो( घनाक्षरी, पोस्ट५२- जितेन्द्र कमल आनंद प्रभु प्रणाम ------------- ओंकार, अघनाशक,परम आनंद हैं जो, क्यों न करें भक्त यशगान आठों याम ही । देख - देख प्रभु प्रेम मूर्ति की सौंदर्य राशि , करते मधुप रस... Hindi · कविता 1 1 271 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read धऱती की शोभा ये तो जगतीकापरिथान: जितेन्द्र कमल आनंद (४८) घनाक्षरी:: ४८ धरती की ळोभा से तो जगकी का परिधान वृक्ष प्राण- बल ये तो जगत के शोभा- धाम । ये अपने लौंदर्य से रिझाते हैं सभी को ही ,... Hindi · कविता 243 Share Jitendra Anand 14 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता: अपनेको छोड़ मत, दूसरेको दृष्टा देख:: पोस्ट१४ घनाक्षरी:: अध्याय १:: गुरुक्तानुभव : छंद संख्या७ अपने को छोड मत, दुसरे को दृष्टा देख, स्वयं ही दृष्टा है ,जानकर आनंद कर । बुद्ध है प्रबुद्ध स्वयं, फँसने न पायेगा... Hindi · कविता 214 Share Jitendra Anand 14 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता:: धर्म और अधर्म,सुख-दुख सब ही तो घनाक्षरी:: अध्याय१ गुरुक्तानुभव::छंद - ६:: पोस्ट ११ धर्म और अधर्म, सुख - दुख सब ही तो ये मानस की उपज हैं कदापि तू न कर्ता । तू देह से असंग... Hindi · कविता 355 Share Jitendra Anand 14 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता:: तू अपनेसे करले अलग निज देह को घनाक्षरी : अध्याय १ :: गुरुक्तानुभव : पोस्ट:: १० तू अपने से कर ले अलग निज देह को , तब अभी ही सुखी, बंध- मुक्त हो जायेगा । वीतराग होकर... Hindi · कविता 475 Share Jitendra Anand 13 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता:: गुरुक्तानुभव ( घनाक्षरी: ४)पोस्ट९पोस्ट९ क्रोध क्या यह क्रूरता , कठोरता , कुटिलता , त्याज्य है असंतोष , त्याग विष के समान । नृप! करुणा क्या आर्जव , मित्रता ,सरलता , तू न पृथ्वी ,... Hindi · कविता 252 Share Jitendra Anand 13 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता:: तृष्णा, स्वार्थ, वासनाएँ, दम्भ( पो८) राजयोग महागीता:: घनाक्षरी: गुरनक्तानुभव ( अध्याय१) तृष्णा, स्वार्थ- वासनाएँ, दम्भ , द्वेष, छल जैसे, विषयों को विष की भाँति त्याग , सद्कार्य है । दैहिक , सांसारिक, कामनाओं , अहंकार... Hindi · कविता 217 Share Jitendra Anand 13 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता:: गुरुक्तानुभव ( घनाक्षरी) पोस्ट ७ गुरु वचनों का मंत्र, सत्संग , स्वाध्याय-- सुधा , नृप ! ज्ञान - प्राप्ति का उपाय यही जानिए । ज्ञान है परम यही, सबमें समाया जो है , आप !... Hindi · कविता 240 Share Jitendra Anand 13 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता "" गुरुक्तानुभव" ( घनाक्षरी) पो ६ हमारे ज्ञान की न तृष्णा समाप्त हुई , ज्ञान - प्राप्ति का उपाय हमको बताइये । कैसे करूँ अनुसंधान शाश्वत मार्ग का मैं , वीतराग का उपाय हमें समझाइये सकल... Hindi · कविता 281 Share Jitendra Anand 13 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता:: प्रभु प्रणाम ( घनाक्षरी ) पोस्ट५ विभु राम ,नृसिंहादि रूपों में जो व्यक्त हुए , भगवान गोविंद का करता भजन हूँ , प्रभु कृष्ण रूप में जो स्वयं ही प्रकट हुए , उन परमब्रह्म को मैं... Hindi · कविता 462 Share Jitendra Anand 13 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता::: प्रभु प्रणाम ( घनाक्षरी ) पो ४ २३ श्याम वर्ण मोहन के , परम आनंद के - सरसिज समान प्रफुल्ल सुनयन हैं । नीर- क्षीर सागर में शेषनाग शैया पर , जो नारायण रूप में करते शयन... Hindi · कविता 1 1 402 Share Jitendra Anand 13 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता: प्रभुप्रणाम::: घनाक्षरी ( पोस्ट २) छंद: २२ चौसठ कला से युक्त शरणागतवत्सल, सच्चिदानंद घन आप ही घनश्याम हैं । योगनिद्रा का आनंद लेते क्षीर-- सागर में , आनंद के दाता आप परम विश्राम हैं ।... Hindi · कविता 217 Share Jitendra Anand 24 Sep 2016 · 1 min read राजयोग महागीता : घनाक्षरी छंद:( पोस्ट क्रमॉक १) जप- जप जप - जप कृष्ण नाम , महामंत्र - कीर्तन कर , अपने सद्चरित्र का निर्माण कीजिए । कहना ये उचित होगा , प्रभु- भक्तों से नित्य , नाम... Hindi · कविता 273 Share Jitendra Anand 23 Sep 2016 · 1 min read राजयोग महागीता घनाक्षरी : छंद संख्या १९ ( पृष्ठ २४) --------------------------------- शांति प्राप्त करने का केवल उपाय यही , पावन हरि नाम का संकीर्तन कीजिए| । ये सब सब से बड़ा है... Hindi · कविता 282 Share Previous Page 2