जिज्ञासा सिंह 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid जिज्ञासा सिंह 22 Oct 2017 · 1 min read गूंज कुछ अल्फाजों में सिमट गयी हूँ, कभी सोच की सांकल जकड़ती है तो कभी सदियों से चली आ रही परंपरा , कहाँ हूँ मैं ? कौन हूँ मैं ? मेरा... Hindi · कविता 1 339 Share जिज्ञासा सिंह 9 Sep 2017 · 1 min read वायुसंगिनी - एक त्याग एक अभिमान कई बरस पहले उड़ते देखा था, मशीनी परिंदों को, उस नीले आसमां में यूं कलाबाज़ियाँ करते, उलटते ,पलटते वो तेज गड़गड़ाहट, जो बस जाते कानों में और ये परिंदे चंद... Hindi · कविता 1 1 382 Share जिज्ञासा सिंह 6 Sep 2017 · 1 min read वायु-योद्धा सूरज की उगती सुनहरी किरणों के साथ वायु की लहरों पे सवार निकल पड़ते हैं वायु-योद्धा हर सुबह अपने मिशन पर । नील गगन में देश की रक्षा के लिये... Hindi · कविता 2 1 614 Share जिज्ञासा सिंह 5 Sep 2017 · 1 min read ख़लिश भीड़ में भी तनहा थी , सब कुछ था , परन्तु न जाने क्यों ? मन में एक बेचैनी सी थी , आँखों में नींद थी पर एक चुभन ,... Hindi · कविता 1 744 Share जिज्ञासा सिंह 5 Sep 2017 · 1 min read एक एहसास प्यार का एक एहसास , जो गुदगुदा जाए एक याद , जो छेड़ जाए सिहरन सी हो , आंखें चमक सी जायें क्या है ? जो सबसे अनोखा है जो लफ्जों में... Hindi · कविता 1 726 Share जिज्ञासा सिंह 4 Sep 2017 · 1 min read इतने अरसे बाद इतने अरसे बाद , कोई ऐसा मिला जिसे अपना कह सकूं ऐसा जैसे..... दरख्तों पे चांदनी आई पतझड़ से मधुमॉस आया निराशा से आशा आई जीवन में मेरे अभिलाषा आई... Hindi · कविता 1 302 Share जिज्ञासा सिंह 4 Sep 2017 · 1 min read खो गए हैं रिश्ते नाते बिक जाते हैं रिश्ते नाते दुनियावी मोल में तौलते हैं, परखते हैं तराजू पे जाने क्यों वो अनमोल को माप देना चाहते हैं क्या ये साँसों का बंधन है भावनाओं... Hindi · कविता 491 Share जिज्ञासा सिंह 4 Sep 2017 · 2 min read सत्यमेव जयते भारत की नारी के क्रंदन ने , आर्त पुकार ने, हर मानुष को एक बार पुनः सोचने के लिए मजबूर कर दिया होगा............... दर्द घटता ही नहीं, बढ़ता जा रहा... Hindi · कविता 346 Share जिज्ञासा सिंह 4 Sep 2017 · 1 min read ऐ धरा क्यों सिद्दत से करेंगे उस लम्हे का इंतजार जब भरी आँखों से पढ़ी जाएगी नब्जों की हर तस्वीर पहली नजर जब भरे बादलों की चुभन पहचानेगी उस तड़प का एहसास की... Hindi · कविता 524 Share जिज्ञासा सिंह 4 Sep 2017 · 1 min read चले थे राह में तनहा चले थे राह में तनहा.... कि कही कभी मेरा आशियाँ मिलेगा ........ पल -पल बुना था सपना कि , कोई ,कहीं , मेरे इंतजार में होगा राह चली उसके साये... Hindi · कविता 487 Share