हेमा तिवारी भट्ट Tag: मुक्तक 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid हेमा तिवारी भट्ट 30 Sep 2017 · 1 min read दशहरा ⛳⛳????⛳⛳ रावण चाहे बाहर हो,या बैठा हो मन के अन्दर। ढूँढ़ कर मारें उसको,हे राम!तेरे तरकश के शर। श्री राम के जैसा होना,बस की हमारे बात नहीं, हमें तूणीर के... Hindi · मुक्तक 337 Share हेमा तिवारी भट्ट 25 May 2017 · 1 min read कान्हा जहाँ रहे (१)- मथुरा,गोकुल,वृन्दावन,बरसाना,द्वारिका लीला मंच बने मेरे श्यामल गिरिधारी का तीरथ हुई वह पावन भूमि कान्हा जहाँ रहे प्रभु कृपा तीरथ मन होवे मुझ दुखियारी का| ✍हेमा तिवारी भट्ट✍ (२)- न... Hindi · मुक्तक 323 Share हेमा तिवारी भट्ट 24 May 2017 · 1 min read मुक्तक "एक मुक्तक" फूलों संग "काँटों " का होना बहुत जरूरी है| सुख संग दुख से जीवन की परिभाषा पूरी है| युगों युगों से चक्र तभी ये चलता जाता है धरती... Hindi · मुक्तक 498 Share हेमा तिवारी भट्ट 25 Feb 2017 · 1 min read बस यूँ ही देखो सत्तर साल में, लोकतंत्र यूँ सधा, गदहागिरी के खेल में, रहा विजेता गधा मेरे भारत देश में, कैसे दिन अब आये इंसानों की बात पे, जब गधे खिलखिलाये हेमा... Hindi · मुक्तक 431 Share हेमा तिवारी भट्ट 1 Feb 2017 · 1 min read बासन्ती मुक्तक ??बासन्ती मुक्तक?? धरती ने नव वसन धरे, सज गये दिग दिगन्त शीत तिमिर ओझल हुआ, जीवन में उगा बसंत||१|| संचित मन में यदि करें, बासन्ती उल्लास दुःसह पड़ेंगे फिर नहीं,... Hindi · मुक्तक 291 Share हेमा तिवारी भट्ट 1 Jan 2017 · 1 min read नया साल [12/31/2016, 8:12 PM] bhatthema3: स्वागत नये साल का दिल से मनाइये लेकिन जाता साल यूँ न बिसराइये तोहफा मिला नया जिसकी शहादत से नाम उसके भी इक चिराग जलाइये ✍हेमा... Hindi · मुक्तक 360 Share हेमा तिवारी भट्ट 12 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक (१) सम्मान सम्मानित हुआ मंच भी पुलकित हुआ समर्थ कलम है आपकी , जो रचा सुचर्चित हुआ ?हेमा तिवारी भट्ट [12/11, 4:12 PM] bhatthema3: (२) शब्दों का शोर सुखद तराना... Hindi · मुक्तक 212 Share हेमा तिवारी भट्ट 6 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक (1) 'सदा' भी सदा कहाँ सुनते हैं लोग, माना फानी दुनिया में खुदगर्ज लोग, पर दे न सुनाई जो कभी सदा-ए-लब, सदा-ए-चश्म दिल से भी सुनते चंद लोग (2) हमें... Hindi · मुक्तक 1 259 Share हेमा तिवारी भट्ट 5 Dec 2016 · 1 min read जो झेलते हैं जो झेलते हैं,वो जानते हैं, हकीकत को पहचानते हैं, कर्मठ हैं जो जीवन में, खाक वही तो छानते हैं| सुलग रहा भीतर भीतर लावा सा उफान पे है, बिगड़ते जाते... Hindi · मुक्तक 442 Share हेमा तिवारी भट्ट 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक "आखिर कोई कितना रोए अश्रु से दुख क्यों भिगोए भारी होते भीग भीग कर दुखड़े हैं रूई के फोहे चलो हँसी की हवा चलाएँ भीगे हैं गम उन्हें सुखाएँ मन... Hindi · मुक्तक 2 474 Share