डा0 रजनी रंजन 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डा0 रजनी रंजन 23 Oct 2018 · 1 min read वर्ण पिरामिड (1) है भोर, किरणें सतरंगी, धरती पर सब जाग उठे, नया सवेरा आया। (2) ओ मन जाग जा भोर हुई चहचहाती चिड़ियों के स्वर तुम्हें बुला रही है । (3)... Hindi · कविता 2 1 497 Share डा0 रजनी रंजन 7 Apr 2018 · 1 min read प्रकृति (1) बहती नदी साथ ही खड़े पेड़ संबल देते। (2) नीला आकाश छुने को व्याकुल हैं वनदेवता। (3) तीन तत्व नदी ,वन, आकाश जीवनाधार। (4) दूर तलक आते जाते रास्तों... Hindi · हाइकु 1 1 262 Share डा0 रजनी रंजन 7 Apr 2018 · 1 min read आँगन का चुल्हा सांझ-सवेरे जब लकड़ी सुलग जाती है। शाम होते आंगन का चुल्हा याद आता है । माँ याद आती है रोटी बनाती बहन याद आती है बेलन घुमाती भाई याद आता... Hindi · कविता 1 266 Share डा0 रजनी रंजन 28 Jan 2018 · 8 min read मंझली भाभी मंझले भैया सिर्फ नाम के मंझले थे पर रौब में वही बड़े भैया थे। वही घर के सभी काम करते थे । बड़े भाई साहब के स्वभाव से शान्त और... Hindi · कहानी 1 965 Share डा0 रजनी रंजन 16 Jan 2018 · 1 min read हाईकु सीखना तुम तौर तरीके सब बेटी हो तुम। सीखना होगा सिमट के रहना तहजीब भी। औरत हो सीख लेना जरूर खुद को पढना आना औ जाना जीवन का सत्य है... Hindi · हाइकु 450 Share डा0 रजनी रंजन 16 Jan 2018 · 1 min read मत कह देना मत कह देना दिल की बातें बात कहानी बन जाएगी। इस घर से उस घर में जाकर पानी पानी हो जाएगी।। मन में अगर कोई जख्म भरा हो खुद से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 453 Share डा0 रजनी रंजन 14 Jan 2017 · 1 min read मानवधर्म मेरी गलती सिर्फ इतनी थी, परसेवा का दायित्व लिया मैने, फल-फूल तोड़े मेरे,खुश हुए वे, मै भी खुश हुई। सोने का हिण्डोला डाल, मुझे बहुत आगे पीछे धकेला, उनको खुश... Hindi · कविता 415 Share डा0 रजनी रंजन 12 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ अर्धनारीश्वर के सृजन में बेटियाँ सहभागी औ सहगामी जीवनपथ में बेटियाँ । धरती और आकाश तक या फिर पाताल तक हैं गूढ अर्थ में बेटियाँ हैं नूर देश में बेटियाँ... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 800 Share