Dinesh Pareek 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dinesh Pareek 25 Jul 2016 · 1 min read अधूरी अधूरी बातें हमारी हर मर्तबा बातें आधे में छुट जाती है । कभी तुम चुप हो जाते हो कभी मैं पहले खामोश हो जाता हूँ कैद होने लगते है खामोशी... Hindi · कविता 1 592 Share Dinesh Pareek 19 Jul 2016 · 1 min read अब वो कश्मीर कहाँ है अब वो वादियां कहाँ क्या अब भी याद है तुम्हें? उस जनवरी की रात, जब पूरी वादी बर्फ से सराबोर थी, और यकायक तुमने रात के बीचो-बीच चाय की फरमाइश... Hindi · कविता 4 572 Share Dinesh Pareek 19 Jul 2016 · 3 min read तुम्हारे पीछे तुम्हारे पीछे ... किचन की खिड़की से नज़र आने वाले पेड़ की टहनियों पर गिलहरी कबसे भाग-दौड़ कर रही है. जितनी शान्ति से मैं उसे देख रही हूँ वह उतने... Hindi · कहानी 4 415 Share Dinesh Pareek 20 Jul 2016 · 2 min read वर्चुअल इश्क़ वर्चुअल इश्क़ उधर तुम चैट पर जल रही होती हो कभी हरी तो कभी पीली और इधर वो तो बस लाल ही होता है. ऐप्स के बीच में फंसी जिंदगी... Hindi · कहानी 266 Share