D.S. JHARIYA 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid D.S. JHARIYA 19 Aug 2017 · 1 min read प्रेम फिर आई रात सुहानी फिर नया गीत गुनगुनायेंगे बिखर गया ज़माने के सितम से फिर से उसे बसायेंग नफरत की आंधिया ले उड़ी जिसे प्यार से फिर सजायेंगे बिखरा हुआ... Hindi · कविता 303 Share D.S. JHARIYA 1 Feb 2017 · 1 min read बादल आसमान के काले बादल लगते हैं कितने जिंदादिल अपने मे भी जोश जगाए उड़ जाने को ज़ी ललचाये पल -पल अपना रंग बदलकर जीवन को रंगीन बनाये गरज-गरज कर बारिश... Hindi · कविता 1 287 Share