Bhaurao Mahant Tag: मुक्तक 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक वक्त हँसाता है वक्त रुलाता है। जो वक्त गँवा दे वो पछताता है।। Hindi · मुक्तक 395 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक आज कैसा सवाल आया है उन अमीरों पे काल आया है। नोट जिनके करीब हैं ज्यादा सीर उनके बवाल आया है।। भाऊराव महंत "भाऊ" Hindi · मुक्तक 1 261 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक विलोम शब्द आस्था:- 2122 1212 22 आस्था पे सवाल आया है जाने' कैसा बवाल आया है। आज इंसान में न जाने क्यूँ जानवर सम खयाल आया है।। ~~~~~~~~~~~~~~~ विलोम शब्द... Hindi · मुक्तक 462 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक 2212 2212 2212 2212 ये भूल मानव की कहूँ ,या काल की मैं क्रूरता। मानव मगर इस चीज़ को,कहता रहा है वीरता।। कैसे कहें भगवान हम पर रूठ जाता है... Hindi · मुक्तक 532 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक समंदर के किनारों पर निशां गर हम बनायेंगे मगर उसकी लहर को हम कभी क्या रोक पायेंगे। निशानी रेत पर रहती नहीं समझा करो "भाऊ" लहर चलते समंदर की, सभी... Hindi · मुक्तक 317 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक 122 122 122 122 मेरे साथ में एक हलचल हुआ है बताऊँ मैं कैसे बड़ा छल हुआ है। दिया है उधारी जिसे कर्ज मैंने कभी आज तो फिर कभी कल... Hindi · मुक्तक 489 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक कोई बादशाह यहाँ, कोई बना गुलाम करे गुलामी रात दिन,करते रहे सलाम। ऐसे ही होता यहाँ, राजनीति का खेल बादशाह के राज में, मरती जनता आम।। भाऊराव महंत "भाऊ" Hindi · मुक्तक 477 Share Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read जीवन सत्य हुआ प्रस्थान बचपन का हुआ आगाज यौवन का यहीं प्रारंभ होता है यहीं परिवार-उपवन का। बुढ़ापे के लिए रखते कमाई मान धन सेवा यहीं फिर खत्म होता है सभी कुछ... Hindi · मुक्तक 601 Share Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read जीत का जश्न हमारी जीत पर कैसे धमाका हो रहा यारो बजे अब ढोल ताशे नाच गाना हो रहा यारों। मजे लेते रहेंगे देश में हम पाँच सालों तक मचेगी धूम संसद में... Hindi · मुक्तक 282 Share Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read कटे सब पेड़ जंगल के कटे सब पेड़ जंगल के हुआ अब ठूँठ जग सारा सुहानी इस धरोहर पर गया अब रूठ जग सारा। लगाया जा रहा वन बाग अब कागज़ के पन्नों पर वनों... Hindi · मुक्तक 409 Share Bhaurao Mahant 11 Sep 2016 · 1 min read मुक्तक - 2 चुल्हों में सभी के नहीं रोटियाँ बदन पे सभी के नहीं धोतियाँ। हजारों बिना रोटियों के मरे करों में सभी के नहीं बोटियाँ।। भाऊराव महंत "भाऊ" Hindi · मुक्तक 527 Share Bhaurao Mahant 11 Sep 2016 · 1 min read मुक्तक माँ को मेरे ऐसा अक्सर लगता है। मेरा बेटा अब तो अफ़सर लगता है सूटबूट से जब भी निकलूँ मैं घर से कहती पूरब का तू दिनकर लगता है।। भाऊराव... Hindi · मुक्तक 312 Share