Meenakshi Bhatnagar 67 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Meenakshi Bhatnagar 2 Apr 2018 · 1 min read सम्भावनाओ की तलाश ज़ारी है सम्भावनाओं की तलाश ज़ारी है कविता तुम्हें तलाशता हूँ हर इक सम्भावना में ख़ुशनुमा पलों की सरगम अत्याचार अनाचार के विरुद्ध मौन चीख में कविता हर पल की साक्ष्य बनो... Hindi · कविता 373 Share Meenakshi Bhatnagar 14 Mar 2018 · 4 min read हलचलें हलचलें हलचलें होती ज़िंदगी की हरारते सोचो तो जो सब अच्छा अच्छा होता संघर्ष टेंशन दुख का नाम नहीं होता कौन किसे उपदेशों का देता काढ़ा सोचो सोचो जो गम... Hindi · कविता 310 Share Meenakshi Bhatnagar 13 Mar 2018 · 1 min read मन का करघा मन का करघा चला सूत से एक चदरिया बुन डाली रेशे रेशे में रंग केसरिया से मन सन्यासी कर डाला अन्तर्मन में तुझे सजाकर नैनों की ज्योति से कर आरत... Hindi · कविता 491 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Jan 2018 · 1 min read सफ़र ज़ारी है हर इक मुकाम पर अनजानी मंज़िलों को तलाशती ज़िंदगी की अभिलाषाओं का सफर ज़ारी है हर इक शज़र पे रंग बदलते मौसमों का खिलते झरते पत्तों की सर उठाती उम्मीदों... Hindi · कविता 510 Share Meenakshi Bhatnagar 21 Jan 2018 · 1 min read मुखौटे ही मुखौटे दर्द की चौखट पर विषाद से घिरे भरे भरे नैनों से फिर भी भाव छुपाते मुस्कराते मुखौटे ही मुखौटे धर्म की आढ़ में छलते मानव मन को कलुष ह्रदय ले... Hindi · कविता 457 Share Meenakshi Bhatnagar 19 Jan 2018 · 1 min read इंद्रधनुष इंद्रधनुष - एक संवाद दूर कहीं एक टूटे फूटे घर में जहाँ गरीबी की परिभाषा भी शरमाती थी माँ गोद लिए बैठी थी अपनी इकलौती निधि को बहलाती फुसलाती बेटा... Hindi · कविता 286 Share Meenakshi Bhatnagar 19 Jan 2018 · 1 min read इंद्रधनुष इंद्रधनुष - एक संवाद दूर कहीं एक टूटे फूटे घर में जहाँ गरीबी की परिभाषा भी शरमाती थी माँ गोद लिए बैठी थी अपनी इकलौती निधि को बहलाती फुसलाती बेटा... Hindi · कविता 399 Share Meenakshi Bhatnagar 31 Oct 2017 · 1 min read बेनाम रिश्ते निखरती कृति तराशी जाती लेखनी इक नया आयाम रचती लेखनी का दर्द कृति का निखार कर जाता सार्थक इन दोनों का ये बेनाम रिश्ता सूर्य को अलविदा कहता सुरमई अँधेरा... Hindi · कविता 463 Share Meenakshi Bhatnagar 28 Oct 2017 · 1 min read आसमानी जादूगर ।ये आसमानी जादूगर कितनी कविताएँ जगाता है भोर के सूर्य सी आशाओं की कविता जो पोर पोर में पुलक सी जगाती है भरी दोपहर में खून के हौसले बढाती दिल... Hindi · कविता 283 Share Meenakshi Bhatnagar 27 Oct 2017 · 1 min read अँधेरा उजास ,प्रकाश , रौशनी एक ही शब्द के पर्याय तुम मानते अपने को श्रेष्ठ मुझे कमतर आँकते तुम्हारा अस्तित्व मुझसे ही तो है दीप की जलती वर्तिका मुझसे ही तो... Hindi · कविता 492 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Oct 2017 · 1 min read खामोशियाँ गुनगुनाते झरनो के रसीले सुर फूलों के खिलते मासूम रंग तितली भँवरों की ये गुनगुन अनकहे प्रेम की बहती तरंग सितारों की अनगढ़ चमक मौन संवादों की मधुर गूँज अन्तर्मन... Hindi · कविता 564 Share Meenakshi Bhatnagar 1 Oct 2017 · 1 min read दिल्ली दिल्ली कटते जा रहे नगर के सैकड़ों शजर हैं कैसे होगी गुजर कठिन चारों पहर हैं दिल्ली तुम दिल वालों की बस्ती रही हो बाकी सी चितवन कहाँ खो गई... Hindi · कविता 614 Share Meenakshi Bhatnagar 29 Sep 2017 · 1 min read रावण रावण हर वर्ष मेरा पुतला जलाते हो बुराई पर अच्छाई का दम भी भरते हो कभी देखा खुद को क्या क्या हुनर दिखाते हो घटनाएँ घट जाये फिर लकीर पीटते... Hindi · कविता 1 453 Share Meenakshi Bhatnagar 27 Sep 2017 · 1 min read जश्न जिंदगी जीवन जीने का यत्न जिदंगी खुद क्यूँ हो रही प्रश्न जिंदगी छोड़ ही दे सिलसिले सवालों के उम्मीदों का खूबसूरत जश्न जिंदगी यूँ ही नहीं मिलती रत्न जिदंगी प्यार मोहब्बत... Hindi · कविता 328 Share Meenakshi Bhatnagar 12 Feb 2017 · 1 min read मुद्दे मुद्दे रोज नये नये उठाते रहे राम को तो कभी रहीम को जगाते रहे रहता था जो रब दिलों में उसे थपकिया दे कर सुलाते रहे सोया था जो नाग... Hindi · कविता 306 Share Meenakshi Bhatnagar 22 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ ऑखो में काजल लगाती बेटियाँ कभी ऑसू बहाती बेटियाँ कभी दो टूक कर दे दिलों को कभी रिश्तों को रफू कराती बेटियाँ कभी ख्वाबों की चादर बुनती आजादी का जश्न... Hindi · कविता 256 Share Meenakshi Bhatnagar 18 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ ऑखो में काजल लगाती बेटियाँ कभी ऑसू बहाती बेटियाँ कभी दो टूक कर दे दिलों को कभी रिश्तों को रफू कराती बेटियाँ कभी ख्वाबों की चादर बुनती आजादी का जश्न... Hindi · कविता 510 Share Previous Page 2