Ananya Shree Tag: कविता 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ananya Shree 29 Jan 2017 · 1 min read "आँखों आँखों में बात होने दो" आँखों ने कहा कुछ आँखों से आँखों आँखों में बात हुई यूँ बोल उठी सुन साजना अब तो ये आँखें चार हुई आँखों में बसते बसते तुम अब प्रीत गले... Hindi · कविता 2 375 Share Ananya Shree 28 Jan 2017 · 1 min read हाय लगेगी तुमको प्रियतम ?"रुबाई छंद"? हाय लगेगी तुमको प्रियतम, मेरे दिल को मत तोड़ो। रात रात भर जागोगे फिर, अखियाँ मुझसे यदि मोड़ो। भूख प्यास सब उड़ जायेगी, मारे मारे भटकोगे। भेष बनेगा... Hindi · कविता 373 Share Ananya Shree 27 Jan 2017 · 1 min read रोज़ लिखती हूँ रोज लिखती हूँ नए छंद नई रुबाई मन के उद्गार और भीगी हुई तन्हाई हूँ कलमकार डुबोती हूँ जब भी खुद को भाव लेती हूँ वही होती जहाँ गहराई!! राख... Hindi · कविता 280 Share Ananya Shree 27 Jan 2017 · 1 min read यही है हकीक़त कहीं झूठ है बेबसी और कहीं लाचारी है भष्टाचारी की थाली में उन्नति बनी बीमारी है लेन देन की बात चली है दुखिया का सर्वस्व छली है नौकरी के बदले... Hindi · कविता 1 1 361 Share Ananya Shree 26 Jan 2017 · 1 min read लो मिलन की रात आई ?मनोरम छंद? लो मिलन की रात आई! प्रेम की बरसात लाई! भीगतें हैँ तन हमारे! साजना तुमको पुकारें! चाँदनी छुपने लगी है! सेज भी सजने लगी है! बोल दो दो... Hindi · कविता 1 1 399 Share Ananya Shree 25 Jan 2017 · 1 min read हम भी तो तुम्हारी बेटी है मत फूँको लोभी दहेज के हम भी तो तुम्हारी बेटी हैं हाथों में लगी प्यारी मेहँदी मत उनको छालों में बदलो हल्दी का उबटन खूब लगा अंगारों में न अब... Hindi · कविता 1 1 487 Share Ananya Shree 24 Jan 2017 · 1 min read पगली ?मनोहर छंद? ढाकती थी तन दिवानी! मोल जीवन का न जानी! लोग पत्थर मारते थे! हर समय दुत्कारते थे! रूप नारी का बनाया! बोध तन का आ न पाया! लूट... Hindi · कविता 696 Share