Amrita Shukla Tag: कविता 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Amrita Shukla 14 May 2024 · 1 min read बिखरा ख़ज़ाना बिखरा ख़जाना ======= पूरब की ओर से सवेरे सूरज ऊगता । तब आसमान लालिमा से भर उठता। दोपहर को उसके भीतर भरता है तेज , शाम पश्चिम में डूब लाल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 88 Share Amrita Shukla 14 May 2024 · 1 min read शरद ऋतु 3-शरद का चंद्रमा बिखेरता है चांदनीं। सितारों से टका आंचल लगे है बांधनीं। शुभ्र, धवल नभ धरा को बाहों में भरता, हवाएं भी छेड़े जा रही हैं कोई रागिनी। शीत... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 59 Share Amrita Shukla 28 Nov 2018 · 1 min read वो मेरी माँ वो मेरी माँ मां तुमसे बिछड़े समय बहुत है बीता फिर भी लगता है अब तक सब रीता तुम रामचरित मानस के दोहे दुहरातीं कंठस्थ रहा करती थी भगवत गीता।... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 23 740 Share