अजय अज्ञात 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अजय अज्ञात 2 Feb 2017 · 1 min read ग़ज़ल बदहवासी में दरख्तों को गिराने वालो आबे दर्या को यूँ ज़हरीला बनाने वालो कोई हद भी तो मुकर्रर हो हवस की आखिर रोज़ आँखों में नए ख्वाब सजाने वालो तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 255 Share अजय अज्ञात 28 Jan 2017 · 1 min read देश चन्दन ओ अबीर है माटी मेरे देश की कंचन सी ज़हीर है माटी मेरे देश की गीता ओ क़ुरान जहाँ ईसा दशमेश भी ऐसी बेनज़ीर है माटी मेरे देश की... Hindi · गीत 271 Share अजय अज्ञात 28 Jan 2017 · 1 min read बेटी इज़्ज़त से इसे देखिये बेटी है किसी की ये प्यारी सी गुड़िया है दुलारी है किसी की नज़रों में हवस भर के इसे घूरने वालो इस ज़िस्म में इक रूह... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 769 Share