रीतेश माधव Language: Hindi 59 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 रीतेश माधव 27 May 2017 · 1 min read मैं जाऊं कहाँ..... सोचता हूँ कभी कभी.... बचपन में...वो हमारा मोहल्ला था और वे थी हमारे मोहल्ले की सडकें सडकें भी कहाँ? पगडंडियाँ! टूटी फ़ूटी, उबर ख़ाबर पर उन पर चल कर हम... Hindi · कविता 2 579 Share रीतेश माधव 4 May 2017 · 1 min read ये जीवन मानो बहता पानी सा ये जीवन मानो बहता पानी सा राह है ऊँची-नीची, टेढ़ी-मेढ़ी, पहाड़ो और मैदानों की सँकरी कभी और कभी गहरी-उथली आती बाधाएँ राहों में पानी हो या जीवन अपनी राह बनाता... Hindi · कविता 2 392 Share रीतेश माधव 2 May 2017 · 1 min read अजीब सी जिंदगी अजीब सी है ज़िंदगी, सफ़र तो है पर मुकाम नहीं कभी उलझनों सी सुबह,कभी बदमिज़ाज सी शाम है कहाँ अब प्रेम अपनत्व और रिश्तों में नरमी, अब ज़रूरतों का मिलना... Hindi · कविता 2 525 Share रीतेश माधव 1 May 2017 · 1 min read ये हाल है हमारे आफिस का.. कोई काम के बोझ के तले, बाकी पड़े है अवारा निठल्ला.. मचाते है शोर करते है हल्ला ये हाल है हमारे आफिस का। निठल्लों की फौज करते है मौज व्यंग्य... Hindi · कविता 3 1 368 Share रीतेश माधव 30 Apr 2017 · 1 min read जीवन एक संघर्ष कई जीत बाकी है कई हार बाकी है अभी जीवन के सार बाकी है अभी तो निकले ही घर से लक्ष्य को पाने को ये तो संघर्ष का एक पन्ना... Hindi · कविता 3 705 Share रीतेश माधव 30 Apr 2017 · 1 min read विचलित सा मन विचलित सा मन है मेरा कभी तरु छाया के अम्बर सा कभी पतझड़ के ठूंठ सा कभी प्रसन्न मैं,कभी दुखी क्रोधित सा मैं भींगा-भांगा सा,डरा डरा सा एक पल में... Hindi · कविता 2 1k Share रीतेश माधव 30 Apr 2017 · 1 min read अलसायी सी सुबह आज अलसायी सी सुबह है, उचटा सा मन है न लिखने को शब्द हैं न कोई ख्याल है... सोचा,इस अलसायी सी सुबह में कुछ फूल चुन लें, पर,सारी खुशबू सौंदर्य... Hindi · कविता 2 571 Share रीतेश माधव 29 Apr 2017 · 1 min read क्योंकि,मैं जो हूँ स्वतः हूँ..! क्योंकि,मैं जो हूँ स्वतः हूँ..! स्वयं रचता हूँ स्वयं पढता हूँ, आप पढ़ो तो ठीक है.. वरना खुद ही पाठक हूँ, क्योकि, मैं जो हूँ स्वतः हूँ। खुद गढ़ता हूँ... Hindi · कविता 2 341 Share रीतेश माधव 29 Apr 2017 · 1 min read चलता रह घिसटता रह.... जीवन भर..! भूल गया मैं अपना पथ और मंजिल भी और ना रही जीवन मे कुछ भी उत्साह और उमंग सी... किंतु रुकना ठहरना , मौत से भी है बदतर। रीतेश!चलता रह... Hindi · कविता 2 532 Share Previous Page 2