AMARENDRA SRIVASTAVA 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid AMARENDRA SRIVASTAVA 13 Jan 2017 · 1 min read ख़ामोशी खामोशी जब- जुबां से उतर कर, निगाहों में आ जाती है, तो मुस्कराहट होठों होती, लेकिन निगाहें तो, अंदर की बात- बोलती-सी होती , आज फिर-तेरी नजरें- मुझे परेशान कर... Hindi · कविता 1 258 Share AMARENDRA SRIVASTAVA 12 Jan 2017 · 1 min read तू नहीं हमटूटेंगे काश ! हम भी चुन सकते, बना सकते जीवन साथी, अपनी निजता के साथ, जब हम बहुत छोटे थे, तब हमने दुनियादारी जानी- ना-थी, फिर भी ,मेरे समाज, मेरे परिवार... Hindi · कविता 1 211 Share AMARENDRA SRIVASTAVA 10 Jan 2017 · 1 min read तू बदल जा मौसम की तरह कल सुबह का आसमान - साफ और बहुत साफ था, ना जाने क्यूँ - आज उसका मिजाज़ बहुत नासाज़ है, ए-मौसम तेरी गुफ़्तगू , मैं आज़ भी जान नहीं पाया,... Hindi · कविता 275 Share AMARENDRA SRIVASTAVA 5 Jan 2017 · 1 min read हाट का ठाठ ज्ञान ध्यान की बात ना कर, हाट की बात सोच, कितना ठाठ है बाजार का- स्कूल भी दुकान बिकने लगा है- यहाँ ज्ञान, अब ज्ञान भी ज्ञान नहीं रहा, बिज़नस... Hindi · कविता 1 554 Share AMARENDRA SRIVASTAVA 4 Jan 2017 · 1 min read मार डाला मासूम ने कितनी मासूम थी वह, जिसमें ताकत थी, मुझे जीते जी- मार डालने की, खता किसकी थी? हमने जाना नहीं, लेकिन इतना जान पाया, मेरी ख्वाब ने, मार डाला । Hindi · कविता 381 Share AMARENDRA SRIVASTAVA 3 Jan 2017 · 1 min read कुछ तो है ? हमने बहुत बार ये सोचा, बहुत खोजा, कि-मिल जाये, फिर भी -तुझे पा ना सका, ना ही देख पाया, लेकिन जब भी मेरी परेशानियाँ- मुझे सोने नहीं दीं -तब ना... Hindi · कविता 391 Share