ओम प्रकाश श्रीवास्तव Tag: कुण्डलिया 16 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ओम प्रकाश श्रीवास्तव 15 Apr 2024 · 1 min read माता रानी दर्श का माता रानी दर्श का,बनता जब संयोग। दिक्कत सारी खुद मिटे,मिटते सारे रोग। मिटते सारे रोग,अर्थ भी समुचित आए। उमड़े उर अनुराग,भक्ति का पथ ही भाए। कहता कविवर ओम,मातु हैं सब... Hindi · कुण्डलिया 1 44 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 7 Mar 2024 · 1 min read नारी है नारायणी नारी है नारायणी,दुर्गा काली रूप। मर्यादा इसकी रखें,जनता हो या भूप। जनता हो या भूप,ध्यान सबका हीं रखतीं। करके अतिशय त्याग,सर्वहित उर से लखतीं। कहता कविवर ओम,सृष्टि रचना यह प्यारी।... Hindi · कुण्डलिया · महिला दिवस 1 81 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 4 Mar 2024 · 1 min read आफत की बारिश असमय वर्षा जो गिरी,विस्मित है संसार। फसलें हैं बर्बाद अब,मुश्किल में परिवार। मुश्किल में परिवार, फसल गेहूँ मुरझाई। लेकर वर्षा रूप,जगत आफत सी आई। डरते सभी किसान,देख नभ फिर बदरामय।... Hindi · कुण्डलिया 1 76 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 23 Feb 2024 · 1 min read अन्नदाता किसान अतिशय करता नित्य श्रम,रख मौसम का ध्यान। पालक दूजा वह जगत, कहते जिसे किसान। कहते जिसे किसान,कर्म जग हित है करता। उपजा कर के अन्न ,पेट जग का है भरता।... Hindi · कुण्डलिया 2 84 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 22 Feb 2024 · 1 min read कैसा कलियुग आ गया कैसा कलियुग आ गया, बदला आज समाज। रिश्ते बनते अर्थ लख, तजकर सारी लाज। तजकर सारी लाज,मनुज कारज कटु करता। उपजा उर में बैर,हृदय में कटुता भरता। कहता सबसे ओम,जगत... Poetry Writing Challenge-2 · कुण्डलिया 1 38 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 13 Feb 2024 · 1 min read मातु शारदे वंदना मातु शारदे वंदना,करता जग है आज। रहती माता की कृपा,रहता सुंदर साज। रहता सुंदर साज,सोच उत्तम बन जाती। हो विद्या शृंगार,बुद्धि नव ऊर्जा पाती। विनय करे नित ओम,मातु उत्तम विचार... Poetry Writing Challenge-2 · कुण्डलिया 2 111 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 13 Feb 2024 · 1 min read मातु शारदे वंदना मातु शारदे वंदना,करता जग है आज। रहती माता की कृपा,रहता सुंदर साज। रहता सुंदर साज,सोच उत्तम बन जाती। हो विद्या शृंगार,बुद्धि नव ऊर्जा पाती। विनय करे नित ओम,मातु उत्तम विचार... Hindi · कुण्डलिया 99 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 11 Feb 2024 · 1 min read आयी ऋतु बसंत की आयी ऋतु बसंत मधुर,करके अनुपम साज। विद्वत कहते हैं इसे,यही सृष्टि की ताज। यही सृष्टि की ताज,धरा लाए हरियाली। नव पत्तों के साथ,सजे वृक्षों की डाली। महक आम की बौर,लगे... Hindi · कुण्डलिया 1 88 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 24 Jul 2023 · 1 min read प्यारा भारत देश है प्यारा भारत देश है,उत्तम इसका ज्ञान। उर में बसी उदारता,कर्म क्षेत्र पर ध्यान कर्म क्षेत्र में ध्यान,रखे मम भारत वासी। मानवता का धर्म,बढ़े चाहत ये खासी। कहता कविवर ओम,श्रेष्ठतम देश... Hindi · कुण्डलिया 1 452 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 21 Jul 2023 · 1 min read सावन में शिव गुणगान पावन सावन माह में,होता शिव गुणगान। भोले हर्षित हो सदा,देते मधु वरदान। देते मधु वरदान,कृपा जग पर बरसाते। श्वेत पुष्प अरु भांग,सदा शिव को अति भाते। अर्पण करते भक्त,वरद पाते... Hindi · कुण्डलिया 1 214 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 21 Jul 2023 · 1 min read प्यारा बंधन प्रेम का प्यारा बंधन प्रेम का,रखिए बहु संभाल। कच्चा धागा सम लगे,पल में बदले चाल। पल में बदले चाल,जरा झटके में टूटे। लगती दिल पे चोट, भाग्य जैसे हों फूटे। कहता कविवर... Hindi · कुण्डलिया 1 209 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 21 Jul 2023 · 1 min read पावन सावन मास में पावन सावन मास में,करिए शिव शृंगार। बरसे शिव की अति कृपा,लक्ष्मी आती द्वार। लक्ष्मी आती द्वार,मिलें जग खुशियाँ सारी। मिलती पावन जीत,कटे विपदा भी भारी। कहता कविवर ओम,लगे प्यारा अति... Hindi · कुण्डलिया 1 526 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 20 Jul 2023 · 1 min read कैसा आया है समय कैसा आया है समय, बाढ़ चढ़ी चहुँ ओर। त्राहि त्राहि करता जगत,मचा कष्ट का शोर। मचा कष्ट का शोर,प्राण संकट में सबके। कहते सारे लोग,हाथ अब तो सब रब के।... Hindi · कुण्डलिया 81 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 20 Jul 2023 · 1 min read राज बढ़ते रोगों का सारी दुनिया में बढ़ी,जनसंख्या है आज। बीमारी इससे बढ़ीं,समझो सारा राज। समझो सारा राज,अधिक जनसंख्या भारी। उजड़े उपवन रोज,धरा रोती है सारी। बढ़ा प्रदूषण घोर,रोग की ले तैयारी। बाँटे छिप... Hindi · कुण्डलिया · चिंतन 151 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 11 Jan 2022 · 1 min read गीता कहती है सदा गीता कहती है सदा,करिए सत व्यवहार। मानव जीवन है मिला,करिए यह स्वीकार। करिए यह स्वीकार,जपो नित प्रभु की माला। होगा जीवन सफल,कटे जग भ्रम का जाला। छोड़ो माया मोह,रखो मत... Hindi · कुण्डलिया 1 256 Share ओम प्रकाश श्रीवास्तव 10 Jan 2022 · 1 min read हिंदी देती अनुपम ज्ञान हिंदी होती है सदा, प्रेम भाव आधार। सुंदर शोभित वाक्य दें,अटल ज्ञान भंडार। अटल ज्ञान भंडार,रही भाषा की जननी। प्रांजलि का अभिमान,यही है भाषा अपनी। भाषा की सिरमौर,लखे मस्तक में... Hindi · कुण्डलिया 2 1 277 Share