शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' Language: Hindi 97 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Mar 2023 · 1 min read बता जमूरे ! *बता जमूरे !* बता जमूरे ! नाचेगी कबतक रस्सी पर ! छोटी-सी यह बच्ची | एक मदारी के कुनबे का, वह है कुशल सदस्य, बना हुआ है जीवन उसका, अबतक... Hindi 1 179 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 29 Oct 2022 · 1 min read कई वर्ष के बाद कई वर्ष के बाद कई वर्ष के बाद डाकिया, चिट्ठी लाया है, माँ की प्यार भरी कुछ बातें, मिट्ठी लाया है | पोस्टकार्ड लिखने की आदत, कब की छूट गई... Hindi 1 127 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 28 Oct 2022 · 1 min read भाषा के झुरमुट भाषा के झुरमुट भाषा के झुरमुट में अनगिन, शब्द हो गए लोप | झड़े हुए पत्तों पर मौसम, के हैं पाँव पड़े, इतिहासों के पन्नों में हैं, अनमन गाँव गड़े,... Hindi 1 133 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 19 Oct 2022 · 1 min read एक पीपल का कल फिर निधन हो गया *एक पीपल का फिर कल निधन हो गया* अब कहाँ घंट टाँगेंगी, अगली सदी, एक पीपल का फिर कल निधन हो गया | कब ये बदलेगा मौसम, पता है किसे,... Hindi 149 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 16 Aug 2022 · 1 min read आइए रहमान भाई आइए रहमान भाई आइए रहमान भाई, चाय पीते हैं | बहुत दिन से सुन रहे हैं, अब इधर आते नहीं हैं, चौधरी के गाँव से होकर कहीं जाते नहीं हैं,... Hindi 245 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Feb 2021 · 1 min read नवगीत कवि जो कुछ लिखता है कवि जो कुछ लिखता है, वह भाषा की संपति है | मुँह से निकले हर अक्षर की कोमल काया है, रचनाओं के उठते पुल का... Hindi · कविता 2 3 486 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 16 Jun 2020 · 1 min read नवगीत नीम की छाँव * अक्सर शब्दों के शहरों में, बसते छोटे गाँव. * बस्ती के अंदर रहते हैं, तुलसी और कबीर, दीप सुनहरी दीवाली के, फागुन और अबीर, अडिग अभावों... Hindi · कविता 1 508 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 May 2020 · 1 min read नवगीत टंकी के शहरों में * खड़े हैं कटघरों में फसलों के गाँव. जोत चढ़ी रधिया की, बुधई के नाँव. * कोट-पैंट पहने है बदली की, धूप, टंकी पे लटके हैं,... Hindi · कविता 522 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 28 Apr 2020 · 1 min read नवगीत बाकी तो सब ठीक-ठाक है ************************ कैसे आएँ गाँव ‘चतुर्भुज’ ! रेल-मार्ग भी बंद पड़ा है, बसें न चलतीं, आवाजाही बंद पड़ी है, ठीक-ठाक सब, घर पर है न !... Hindi · कविता 2 340 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 31 Mar 2020 · 1 min read नवगीत मित्रो ! 'कोरोना' की बिछली यानि कि फिसलन में आजकल सभी साहित्यकारों के शब्द फिसल रहे हैं, मेरी लेखनी से फिसले शब्द:- * अरे ! कोरोना ! तुझे नमस्ते *... Hindi · कविता 541 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 11 Mar 2020 · 1 min read नवगीत ************************** नाली जाम, सड़क पर पानी ************************** नगरपालिका नगर-व्यवस्था दयापात्र, दयनीय कहानी, नाली जाम, सड़क पर पानी. * बाबू की बीबी की साड़ी में, मोती की जरी लगी है, जमा... Hindi · कविता 275 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 26 Feb 2020 · 1 min read नवगीत अधिकारों का भोर ***************** रहते मत वैभिन्य निरर्थक, वार्ता के संवाद. माँगों के हर विज्ञापन का, पीठ चढ़ा वैताल, फैल गया है कुंठाओं का, तर्कहीन शैवाल, है हठता पर अड़ी... Hindi · कविता 1 422 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 8 Feb 2020 · 1 min read नवगीत हरियाली है हँसमुख ****************** सूरज खेल रहा बदरी सँग आँख मिचौनी. * ऋतु वसंत है अँगड़ाई में, हरियाली है हँसमुख, हवा वसंती तरु-पल्लव से, बतियाती है सुख-दुख, आगति की दिनचर्या... Hindi · कविता 1 577 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 Jan 2020 · 1 min read नवगीत मित्रो ! एक श्रद्धांजलि-गीत- ************* किशन सरोज ************* * गीतों के सुरभित फूलों की माला, किशन सरोज. * पीड़ा की अनुभूति हुई जो, शब्दों में अभिव्यक्त मनोहर, अलंकार सौन्दर्य बने... Hindi · कविता 1 2 294 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Nov 2019 · 6 min read समीक्षा 'नदी जो गीत गाती है'- एक मूल्यांकन ************************************ ग्राम्यता और नागर भावबोध की गहरी अनुभूतियाँ गीत-नवगीत के सृजन में प्रतिबद्धता के साथ तत्पर साम्प्रतिक सर्जकों में शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ का... Hindi · कविता 269 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 28 Oct 2019 · 1 min read नवगीत अनुभूतियों के गजरे ******************* सबदों की धूप ओढ़े, मन के सहन में उतरे, कुछ अक्षरों के साये. * वर्णों के पैदलों में, हैं दर्द के मृत्युंजय, भावों के भव्य बंधन,... Hindi · कविता 220 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Oct 2019 · 1 min read नवगीत पक्का पुल अँगरेजोंवाला * जर्जर रिक्सा, खींच रहा है, रामखिलाड़ी, खट-खट-खट. * तीन सवारी, लदी हुई हैं, पीठ सटाकर, आगे-पीछे, वर्षा का यह, ऋतु बसंत है, पहिये पैदल, गड्ढे-बीछे, कान... Hindi · कविता 469 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 29 Aug 2019 · 1 min read नवगीत नई सड़क से हटकर घर है ************************ नई सड़क से, हटकर घर है, फिर छोटी पगडंडी है. * बस से आना, ठीक रहेगा, घर के ही वह, पास रुकेगी, नई... Hindi · कविता 264 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 27 Aug 2019 · 1 min read नवगीत तुम जो मानो ! ************** माना ! हम कबीर हैं अक्खड़, तुम जो मानो. * लाग लपेट बिना रहने की, बनी हुई है आदत, सम्भव है, हमरी बातों से, कुछ,... Hindi · कविता 391 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 11 Aug 2019 · 1 min read नवगीत ‘‘कि बारिश आनेवाली है’’ *********************** घिरे बादल-बदली, घनघोर, धरा पर, नाच उठे हैं मोर, कि बारिश आनेवाली है. * सावन चला गया, चुपके से, भादों मस्ती में, सडकों पर, पानी... Hindi · कविता 567 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 17 Jul 2019 · 1 min read नवगीत चले गये बादल आये तो थे, किन्तु चमककर, चले गये बादल सघन स्वरूप हवाओं का रुख, गति के सँग घूमा मानसून से मिला, नमी का, भौतिक मुख चूमा इंद्रदेव के,... Hindi · कविता 430 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 Jul 2019 · 1 min read नवगीत ********** बहरी नहीं है ********** बह रही है जो नदी बहरी नहीं है * यह जनम से बोझ ढोती गंदगी के सावनों का युग-युगों से अनय सहती उन्नयन के धावनों... Hindi · कविता 379 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 10 Jul 2019 · 1 min read नवगीत कभी-कभी खत लिख देता हूँ * भूली-बिसरी उन यादों को जो बचपन में भटक गई हैं और पड़ीं हैं अभी उपेक्षित कभी-कभी खत लिख देता हूँ * हरियाली के नये... Hindi · कविता 488 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 22 Jun 2019 · 1 min read नवगीत पहले से आराम बहुत है ********************* जो भेजे हो दवा पेट की केवल दो दिन ही खाया मैं पहले से आराम बहुत है * खेत कट गये सब गेहूँ के... Hindi · कविता 503 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 7 Jun 2019 · 10 min read आलेख नवगीत-बोलचाल की भाषा समय अपने साथ अनेक परिवर्तनों की जलवायु को समेटते हुए एक लंबी यात्रा पर निकला है. यह नहीं पता कि समय की मंजिल कहाँ है और वह... Hindi · कविता 354 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 7 Jun 2019 · 6 min read समीक्षा फूलों के झरते पराग-एक अध्ययन -शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ गीत साहित्य की एक आदिम विधा है. गीत अपने प्रारम्भिक अवस्था से ही लोक, आदिवासी, विचार प्रधान एवं संगीत की स्वर लहरियों... Hindi · कविता 672 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 22 May 2019 · 1 min read नवगीत नेता हैं ***** नेता हैं कुछ भी कह देंगे भाषा से क्या लेना-देना इनको तो बस वोट चाहिये ये तो हैं केले के पत्ते भिड़ के हैं ये लटके छत्ते... Hindi · कविता 424 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 May 2019 · 1 min read नवगीत *** माँ ** माँ तुम केवल शब्द नहीं हो तुम अक्षर अनुप्रास तुम जननी निरकेवल भाषा तुम ममता का पत्र तुम सामाजिक एक धरोहर तुम प्रतीक का सत्र तुम संवेदन... Hindi · कविता 356 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 8 Apr 2019 · 1 min read नवगीत ****************** दादाजी का बड़ा गड़गड़ा ****************** चूल्हे पर बैठी दुःखगाथा याद रही है ताग बलुई पर के तरबूजों की फसलों की रखवाली भैंस चराते चरवाहों की फूहड़-फूहड़ गाली दादाजी का... Hindi · कविता 264 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Apr 2019 · 1 min read बालगीत ************ छोटी चिड़िया ************ देखो मोनू ! छोटी चिड़िया चोंच झुकाकर पड़ी उदास दाना उसके एक न पास टपक रहा है टप टप पानी भीग रही है मड़ई रानी मुझे... Hindi · कविता 550 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 27 Mar 2019 · 1 min read बाल गीत उठो सुतक्कड़ ! उठो सुतक्कड़ ! भोर हो गया चिडियों के घर शोर हो गया ओस चली है गंग नहाने शंकर जी को दूध चढ़ाने मगन घाट का छोर हो... Hindi · कविता 586 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 22 Mar 2019 · 1 min read दोहे दोहे १. क्या बीता होगा प्रिये !, कहो न दिल की बात. उजियारों के बीच से, गुजरी होगी रात. २. काबिज है भूमाफिया, परती जहाँ जमीन. लोकतंत्र है देखता, सपना... Hindi · कविता 1 451 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 15 Mar 2019 · 1 min read नवगीत राजनीति की चाय **************** उड़न खटोले पर बैठी है राजनीति की चाय शुभचिंतक की कुशल-क्षेम की फूट गई है आँख अफवाहों की पूँजी की बस फुदक रही है पाँख घपलेबाजी... Hindi · कविता 487 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 13 Mar 2019 · 1 min read नवगीत लोकतंत्र का रामायण ******************* लोकतंत्र का रामायण है कभी न बाँचा सत्ता का उत्कर्ष शिव आदर्श-उदाहरणों के बदल गये हैं अर्थ शब्द-शक्ति भी नाटकीय है भाव हुये असमर्थ तुलनाओं का... Hindi · कविता 294 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Mar 2019 · 1 min read कविता माँ ** निकलती है सबेरे-सबेरे अकेले-अकेले ले बुढ़ौती का सहारा ठेगनी छड़ी माँ ! पास वाले पार्क में जहाँ फूलों से बतियाती तितली और भँवरे होते खेलती मदमस्त हवा बाँटती... Hindi · कविता 262 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Mar 2019 · 1 min read दोहे आक्रोशों के गाँव ************** अभिनन्दन की धूप में, मौन पड़े हैं शब्द. आँखों में संतोष के, घुमड़ रहे हैं अब्द. आसमान से झाँककर, देख रही है आँख. संकट पंछी के... Hindi · कविता 479 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Mar 2019 · 1 min read बालगीत चों-चों-चों-पों-पों-पों ****************** चरखा बोला चों-चों-चों उड़ा पपीहा पों-पों-पों चों-चों-चों-पों-पों-पों भागा-भागा बगुला आया मैनी को भी पास बुलाया बया उड़ी है सों-सों–सों चों-चों-चों-पों-पों-पों गदहा बोला हेंको-हेंको खरहा बोला कुरसी फेंको कौआ... Hindi · कविता 288 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 4 Mar 2019 · 1 min read बाल गीत खाला रहती खालापार ******************* खाला रहती खालापार खाला के हैं बेटे चार टंपक टोली दाल बलंडी भंभक भोली ठंक ठिठोली खाला खाती पान मसाला पास हींग की रखती गोली डाँट-डपट... Hindi · कविता 525 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 4 Mar 2019 · 1 min read नवगीत ******************** अपने कष्ट सचेत किये कुछ ********************** अपने कष्ट सचेत किये कुछ उनकी व्यथा रुलायी अक्सर अनुभव-किरण चढ़ी जब छत पर फुटपाथों की भूख निहारे सामाजिकता की पुआल पर अपने... Hindi · कविता 247 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 Mar 2019 · 1 min read नवगीत लोकतंत्र का रामायण ******************* लोकतंत्र का रामायण है कभी न बाँचा सत्ता का उत्कर्ष शिव आदर्श-उदाहरणों के बदल गये हैं अर्थ शब्द-शक्ति भी नाटकीय है भाव हुये असमर्थ तुलनाओं का... Hindi · कविता 445 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 19 Feb 2019 · 1 min read बालगीत हालू-मालू ********* हालू-मालू खेल रहे हैं डोई-डोई ओका-बोका तीन-तड़ोका खेल चुके हैं लौवा-लाठी चंदन-काठी ठेल चुके हैं खेल रहे हैं छुप्पम-छुप्पा लोई-लोई इटिया-बिटिया गोली-टिकिया रेल बने हैं कोट-कचहरी चौकी-थाना जेल... Hindi · कविता 1 277 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 18 Feb 2019 · 1 min read नवगीत के बोलत बा ! ************ ‘पाँचरतन’ मैं बोल रहा हूँ ‘रामसुभग’ का बड़का बेटा पास खड़ा है ‘रामधियानी’ के बोलत बा ! नाम बताव !! ‘रामसकल’ बीमार पड़े हैं किसी... Hindi · कविता 433 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 14 Feb 2019 · 1 min read गीत लिखना मैंने छोड़ दिया है’’ *********************** अपनी रैन-कथाओं को खत लिखना मैंने छोड़ दिया है वादों की प्रतिध्वनियों में अब हँसता कोई प्रेम नहीं है कब आती-जाती है नेकी पक्का... Hindi · कविता 232 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 13 Feb 2019 · 1 min read गीत आज पिताजी ************ आज पिताजी शहर छोड़कर गाँव लगे जाने बोल रहे हैं शहरों में अब साँस अटकती है घर में बैठी पड़ी आत्मा राह भटकती है बरगद की वह... Hindi · कविता 500 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 13 Feb 2019 · 1 min read दोहे पगडंडी का पाट ************* खड़ा रेत पर मौन है, प्रौढ़ नदी का घाट. बाट देखता भीड़ का, पगडंडी का पाट. खेल रहा है फेसबुक, एक विलक्षण खेल. चुपके-चुपके चल रही,... Hindi · कविता 266 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 Feb 2019 · 1 min read गीत बहुत हो गये ********** शब्दों की इस पीच सड़क पर चलने वाले बहुत हो गये लय-यति-गति का शब्द-योनि का बदल गया है तौर-तरीका अनुभव प्यासा अनुबोधों को निकली चेचक लगता... Hindi · कविता 478 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 11 Feb 2019 · 1 min read दोहे नहीं कहीं है झोंपड़ी ***************** नहीं कहीं है झोंपड़ी, कहीं न रोटी-दाल. सड़क किनारे झाँकते, फटे-फटे तिरपाल. पता नहीं अब हैं कहाँ, सत्य सोच के योग. राजनीति को लग गया,... Hindi · कविता 1 259 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 10 Feb 2019 · 1 min read गीत मित्रो ! जय माँ शारदे !! जय वसंत !!! **************** हर पतझड़ के बाद **************** एक नया ऋतुराज हँसा है हर पतझड़ के बाद सुरभित कलिका की गलियों में थिरकी... Hindi · कविता 1 526 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 9 Feb 2019 · 1 min read दोहे प्रेयस एक जुनून *************** रख सकते घर को नहीं, किसी तरह गुलजार. सौ रुपये की दोस्ती, एक फूल का प्यार. धूप ठहाका मारती, सूरज पढ़ता मंत्र. बाहर है ठण्डी हवा,... Hindi · कविता 493 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 8 Feb 2019 · 1 min read गीत बSलिया के बिजूली ***************** (भोजपुरी गीत) आवS तनी सूति लींजा सजनी थकान बा सSऊसे सरेहिया में एकही बा ढेला नींनि नाहीं आवतारी मन बा अकेला देहिया में दSम नइखे डरल... Hindi · कविता 318 Share Page 1 Next