साहित्य गौरव Tag: कविता 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid साहित्य गौरव 8 Dec 2023 · 1 min read इश्क बेहिसाब कीजिए कभी तो इश्क आप भी यूं बेहिसाब कीजिए। जिस्म से जरा सा दूर अपना हिजाब कीजिए। फरमा रहा हूं शौक से बा-अदब मैं दिल्लगी, चेहरा दिखा के हूर का उसे... Hindi · कविता · ग़ज़ल · गीत 2 208 Share साहित्य गौरव 6 Dec 2023 · 1 min read बस चार है कंधे बस चार है कंधे चार है लोग, बाकी के सब बेकार है लोग। कुछ आगे है कुछ पीछे है, मतलब के सारे यार है लोग। ....बस चार है कंधे चार... Hindi · कविता · जिंदगी का सच 3 194 Share साहित्य गौरव 4 Dec 2023 · 1 min read फिर मिलेंगें इतमीनान तो रखिए, कि बड़ी उलफत से मिलेंगे। तुम्हारी महफिल में बेशक हम इज्जत से मिलेंगे। बेसब्र न हो इतना मुझसे मिलने की खातिर, साथी हूं बुरे वक्त का फकभी... Hindi · कविता · ग़ज़ल · शेर 1 1 214 Share साहित्य गौरव 1 Dec 2023 · 1 min read आज वक्त हूं खराब अभी वक्त हूं खराब, कल बीत जाऊंगा, अपने पुराने रंग में, फिर लौट आऊंगा। आज शौक से उड़ा लो, मजाक तुम मेरा, कल बदलेगा जमाना, मैं भी मुस्कुराऊंगा। .....अभी वक्त... Hindi · कविता 2 656 Share साहित्य गौरव 28 Nov 2023 · 1 min read इंसानियत इंसान बदल जाता है जरूरत बदल जाती है। गुजरते वक्त के साथ ही आदत बदल जाती है। वो फरमाते सुलूक है बड़े तहजीब से लेकिन, मतलब बदलते ही उनकी फितरत... Hindi · कविता 2 641 Share साहित्य गौरव 25 Nov 2023 · 1 min read हे मानव! प्रकृति हे मानव! प्रकृति को तूने, कैसा दूषित कर डाला। सुंदर- स्वच्छ अवनी को तूने, प्रदूषित तत्वों से भर डाला। स्वच्छंद पवन अरण्य सघन, निरंतर तरनी की धारा को, तूने ही... Hindi · कविता · प्रकृति · हमारी प्रकृति हमारा जीवन 1 157 Share साहित्य गौरव 20 Nov 2023 · 1 min read बेरोजगारी न लिखूं कुछ कैसे भला ये कर्जबाजारी देखकर, झकझोर देती है कलम भी इनकी लाचारी देखकर। चुनावी वादों के पर्चों सी हालत सरकारी देखकर दवाग्नल सी जो भड़की जाए बेरोजगारी... Hindi · कविता · बेरोजगार · सरकार · सरकार व योजना 1 169 Share साहित्य गौरव 7 Mar 2023 · 1 min read सरकार बिक गई लो सत्ता बिक गई अब सवाल बिक गए, अच्छे दिनों के बेगजब कमाल बिक गए । बिक रहा है देश का पुर्जा पुर्जा जोरों से, कल शिक्षा बिक गई अब... Hindi · कविता · सरकार व योजना 5 1 370 Share साहित्य गौरव 7 Mar 2023 · 1 min read कविता बाजार जाने कितने है कवि यहां, जाने कितनी है कविताएं, कुछ हिंदी की कुछ उर्दू की, सब भिन्न भिन्न है रचनाएं। लगी साहित्य की भीड़ यहां, नव लगे है रस कतार... Hindi · कविता · कविता-हिन्दी · काव्य 4 676 Share साहित्य गौरव 7 Mar 2023 · 1 min read तुम गजल मेरी हो गर हुस्न सल्तनत में हुकूमत मेरी हो, तो मोहब्बत को ऐसी मोहब्बत मेरी हो, किताबों के पन्नें वो छुप छुप के देखें, जहां भी वो देखें तो सूरत मेरी हो।... Hindi · कविता · ग़ज़ल · गीत 1 647 Share साहित्य गौरव 7 Mar 2023 · 1 min read फिर मिलेंगे इतमीनान तो रखिए, बड़ी उलफत से मिलेंगे। तुम्हारी महफिल में बेशक हम इज्जत से मिलेंगे। बेसब्र न हो इतना मुझसे मिलने की खातिर, साथी हूं बुरे वक्त का कभी फुरसत... Hindi · Love · कविता 1 193 Share