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7 Sep 2018 · 1 min read

अजी सुनिये जनाब .........

बहुत ठगा है भैया तूने
अपने बोल बचन से
धीरे से क्यों पल्ला झाड़े
अपने ही वचन से

बेवकूफ़ क्या तूने जानी
जनता भारत देश की
धीरे धीरे देखेगा तू भी
हद जनता के आवेश की

बोल बचन से अबतक तेरे
“अच्छे दिन” ना आएं
जाती धर्म के दांव पेंच में
“विकास” को भुलाएं

आरक्षण का दांव चलाकर
तूने जो तीर है मारा
न्यायालय को आँख दिखाई
तबसे दिल है हारा

ऐसे कैसे आखिर तुमको
“सबका साथ” मिलेगा
जोड़तोड़ की राजनीति से
“किसका विकास” होगा

जानलों भारत की जनता
इतनी भी सोई नही है
तुम को लगता होगा लेकिन
सपनों में खोई नही है

सपनों में खोई नही है
———————–//**—
शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०

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