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18 Aug 2018 · 1 min read

लालच

पनप रहा है हर तरफ, नफरत का बाजार।
मानव लालच में पड़ा, करता हद को पार।। १

स्वर्ण हिरण होता नहीं, जान रहे थे राम।
फसना लालच में नहीं,देना था पैगाम।। २
-लक्ष्मी सिंह

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