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12 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

शिकायत नही तुमसे ना कोई गिला ,
मेरी क़िस्मत में था जो मुझको मिला,
चाँदनी रात शोलों सी अब जलाती बदन ,
भूला हुआ ख़्वाब सारा मेरा खिला ,

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