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12 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

मानचित्र को काट रहे हों, भारत माँ को बाँट रहे हों,
ग़ैर तिरंगा फाड़ रहे हों, अपने झण्डे गाड़ रहे हों,
जब सीने पर ही आ बैठें, भारत माता के हत्यारे,
छोड़ कबीरा का सुर तब लिखने पड़ते हैं नारे |

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