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11 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

छोड़ धरती को चढ़े अम्बर गये
एक दूजे के बने दिलबर गये

इश्क़ का सुन्दर सलोना सा जहाँ
डूबकर जिसमें गहन सागर गये

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