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1 Aug 2018 · 2 min read

करनी का फल

विपिन दास बदहवास सा कुर्सी पर बैठा हुआ था। उसकी पत्नी उमा दहाड़ दहाड़ कर रो रही थी। सामने 30 वर्षीय पुत्र संजय की लाश पड़ी थी । बराबर में बहु बेसुध पड़ी थी । दोनों को इस हालत में देखकर 2 वर्षीय मन्नू जोर जोर से रो रही थी। आस पास की औरतें उसे चुप कराने का प्रयास कर रही थी। बड़ा ही मार्मिक दृश्य था । रोज की तरह संजय सुबह हंसता हुआ नाश्ता खाकर लंच लेकर बैंक के लिये मोटरसाइकिल पर निकला था । अचानक तेजी से आते ट्रक ने उसे कुचल दिया था । किसे मालूम था इतना भयंकर कुछ होने वाला है।
विपिन दास बिजली विभाग में अधिकारी है।उसने रिश्वत से इतना धन कमाया है कि वो पूरी तरह सम्पन्न और रईस है । किसी चीज की कमी नहीं। । अगले साल उसका रिटायर मेंट है । उससे पहले ही उसके सर पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा । बेटी 27 वर्ष की अभी तक कुँवारी है। हैदराबाद में जॉब करती है। वो रात तक ही आ पाएगी। हैरान परेशान दुखी विपिन दास के कानों में तो बस बार बार उसके सहकर्मी राजेश की आवाज गूंज रही थी । जिसने कहा था विपिन तूने पैसों के लालच में आकर गलत आरोपों में फंसा कर मेरी नौकरी छीनी है ।मेरे बच्चों का भविष्य बिगाड़ा है ।मैं तो असहाय हूँ तेरा कुछ नही बिगाड़ सकता पर ईश्वर तुझे छोड़ेगा नहीं ।ऊपर वाले कि लाठी में आवाज नही होती। विपिन ये सोचते सोचते फूट फूट कर रोने लगा। तभी कंधे पर किसी हाथ को महसूस किया तो देखा आंखों में आंसू लिये राजेश खड़ा था । विपिन उसे देखते ही उसके पैरों में लोट गया ।किसी को बर्बाद करने के चक्कर मे आज वो खुद भी बर्बाद हो चुका था ….

01-08-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

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