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29 Jul 2018 · 1 min read

बाल कविता

बाल कविता

“चंदा मामा”

चंदा मामा….चंदा मामा
हम दोनों से….मेल मिलाना
नन्हें-नन्हें….साथी हैं हम
आज मधुर तुम….गीत सुनाना।

सीढ़ी पर चढ़….मिलने आए
हँसकर हमको….गले लगाना।
साथ सितारों…. को लेकर तुम
लुका-छिपी का….खेल खिलाना।

घटता-बढ़ता…. रूप तुम्हारा
आज हमें भी….तुम दिखलाना
धरती के पा….सपन सलौने
बाँट प्रेम से…. सब इठलाना।

खीर-बताशे…. लेकर आए
अपने हाथों….हमें खिलाना
प्यारे मामा…. कहलाते हो
दिव्य लोक की….सैर कराना।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

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