Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2018 · 2 min read

गुरु पर्व

शीर्षक – गुरु पर्व
================
गुरुजी के आश्रम में काफी चहल पहल थी, भक्तों का तांता लगा हुआ था l जयकारे धरती अंबर में गुंजायमान हो रहे थे l भीड़ देखकर समझा जा सकता था कि कोई पर्व या महोत्सव है l ऊंचे मंच पर एक सिंहासन पर गुरु जी विराजमान थे l आश्रम में गुरु जी के दर्शन के लिए पंक्तिबद्ध लोगों के बीच मैं भी अपनी पत्नी के साथ शामिल अपनी बारी का इंतजार कर रहा था l
गणवेश पहने कुछ लोग भीड़ को नियंत्रित करने में लगे हुए थे l एक ओर भंडारा चल रहा था वहाँ लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे थे l

कतारें रेंगती हुई चल रहीं थीं। एक एक कर सभी गुरुजी के दर्शन कर प्रसाद ग्रहण कर रहे थे। मैने भी दर्शन किए ओर प्रसाद लेकर एक उचित स्थान देखकर बेठ गया l
कुछ समय बाद गुरु दर्शन करने का सिलसिला थम गया तब गुरु जी प्रवचन करने लगे – … ‘भक्तो जीवन नस्वर है, आत्मा अजर अमर हे, पाप का सबसे बड़ा कारण यह धन है, माया है, तुम सभी इस माया के वशीभूत हो.. इस माया का त्याग करके तुम सभी परमात्मा में लीन हो जाओ… स्वर्ग के द्वार तुम्हारे लिए खुल जाएंगे, गरीबों की सेवा करो, वही नारायण हे उसकी सेवा ही सच्ची पूजा है … . ….. I’
और न जाने क्या-क्या गुरु जी कहते रहे, सभी तन्मयता से सुनते रहे …. l
प्रवचन समाप्त हुआ तो सभी अपने-अपने घरो की ओर लौटने लगे।
आश्रम के बाहर मुख्य द्वार पर भारी संख्या में भीख़रियों की भीड़ जमा थी। गुरु जी के सेवक उन्हे खदेड़ने मे लगे हुए थे… चीख पुकार मची हुई थी..

मेरा मन ग्लानि से भर गया ….. क्या यही दरिद्र नारायण की पूजा हे….. माया त्यागने की बात करने वाले आश्रम-अधिष्ठाता के प्रवचन व आचरण का यह अंतर त्याग का एक थोथा नारा मात्र है , इसके अतिरिक्त और कुछ नही ….

राघव दुबे
इटावा
8439401034

Language: Hindi
1 Like · 562 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

पता नहीं किस डरसे
पता नहीं किस डरसे
Laxmi Narayan Gupta
हीरा जनम गंवाएगा
हीरा जनम गंवाएगा
Shekhar Chandra Mitra
*जैन पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर*
*जैन पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर*
Ravi Prakash
मौत पर तो यक़ीन है लेकिन ।
मौत पर तो यक़ीन है लेकिन ।
Dr fauzia Naseem shad
इन्तजार
इन्तजार
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
कुछ भी नया नहीं
कुछ भी नया नहीं
Acharya Shilak Ram
तू कल बहुत पछतायेगा
तू कल बहुत पछतायेगा
Vishnu Prasad 'panchotiya'
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
Rj Anand Prajapati
रिश्ते
रिश्ते
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अनमोल सी राह देखी
अनमोल सी राह देखी
Avani Yadav
"उम्र"
Dr. Kishan tandon kranti
समझ आती नहीं है
समझ आती नहीं है
हिमांशु Kulshrestha
कान्हा ओ कान्हा!
कान्हा ओ कान्हा!
Jaikrishan Uniyal
मैं पढ़ता हूं
मैं पढ़ता हूं
डॉ० रोहित कौशिक
अजब तेरी दुनिया
अजब तेरी दुनिया
Mukund Patil
चुनाव का मौसम
चुनाव का मौसम
Sunny kumar kabira
बात आई जो देश की
बात आई जो देश की
Chitra Bisht
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
6. शहर पुराना
6. शहर पुराना
Rajeev Dutta
ज़माने में हर कोई अब अपनी सहूलियत से चलता है।
ज़माने में हर कोई अब अपनी सहूलियत से चलता है।
शिव प्रताप लोधी
उठ रहा मन में समन्दर क्यूँ छल रहा सारा जहाँ,
उठ रहा मन में समन्दर क्यूँ छल रहा सारा जहाँ,
अर्चना मुकेश मेहता
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
अंसार एटवी
!! पर्यावरणीय पहल !!
!! पर्यावरणीय पहल !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
सत्य की पहचान
सत्य की पहचान
Dr. Vaishali Verma
..
..
*प्रणय प्रभात*
4444.*पूर्णिका*
4444.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
21. Tale of An Eve
21. Tale of An Eve
Ahtesham Ahmad
बहुत दाम हो गए
बहुत दाम हो गए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
Loading...