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29 Jul 2018 · 1 min read

समर्पण

श्रद्धा-प्रेम-विश्वास का ,
मैं पूर्ण समर्पण लाई हूँ।

तुम जो चाहो वही दिखाए ,
ऐसा दर्पण लाई हूँ।

तन-मन-धन सब सौप दूँ तुमको ,
तुम से ही है जीवन प्राण-

प्रेम यज्ञ में बना स्वयं को ,
समिधा अर्पण लाई हूँ।
-लक्ष्मी सिंह

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