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25 Jul 2018 · 1 min read

मै भी बनूँ प्रधान

इच्छाएँ मरती नही,…मर जाता इंसान !
यही समूचा सत्य है,इसे समझ नादान !!

बुरे भले के बीच का, जिन्हे नही है भान !
उनकी भी मंशा यही, मै भी बनूँ प्रधान ! !

ऐसी कैसी लालसा ,नेताओं की आज !
चाहे जैसे भी मिले, रहे उन्ही का राज !!

जिसके रहते खो गया.,जीवन का अनुराग !
ऐसी ख्वाहिश का करें,फौरन ही परित्याग !!
रमेश शर्मा.

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