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21 Jul 2018 · 1 min read

मेरे दिल में शिकायत नहीं है |

ग़ज़ल

मेरे दिल में शिकायत नहीं है |
तू मेरी अब इबादत नहीं है ||

खींच खाके बसर क्यों करुँ मैं |
दिल में मेरे सियासत नहीं हैं ||

मेरा मुमकिन नहीं लौट आना |
तुझ से कोई अदावत नहीं है ||

आज जीस्त खिजा में रही जी |
ये किसी की शरारत नहीं है ||

बैठ तन्हा “मनी” सोचना तुम |
इश्क तेरा तिजारत नहीं हैं ||

मनिंदर सिंह मनी

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