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19 Jul 2018 · 1 min read

*ऐ बेअदबों ये कैसी खुशीहै*

किसी के जाने की ख़ुशी है किसी के आने की खुशी है
आना-जाना दस्तूर दुनियां फिर क्यों अनजानी खुशी है बनते हैं जाने- अनजाने दोस्त- दुश्मन दुनियां में कितने आये मर्जी-दुनियां-अपनी?ऐ बेअदबों ये कैसी खुशीहै।।
मधुप बैरागी

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