Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jul 2018 · 1 min read

ग़ज़ल

2122 1212 22/112

प्यार में जाँ निसार मत करना।
गैर पे एतबार मत करना।

इश्क का रंग मौसमों सा है
दिल कभी बेकरार मत करना।

पाक़ अस्मत तुझे बचानी है
ज़िंदगी दाग़दार मत करना।

वो समझ ले नहीं ख़ुदा ख़ुद को
मिन्नतें बार-बार मत करना।

आशिकी में दग़ा मुनासिब है
बेरुख़ी इख़्तियार मत करना।

बेबसी बेख़ुदी से बढ़कर है
बुझदिलों में शुमार मत करना।

याद ‘रजनी’ तुम्हें सताएगी
तुम कभी इंतज़ार मत करना।

डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

343 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all

You may also like these posts

शरारत करती है
शरारत करती है
हिमांशु Kulshrestha
जीवन की कविता
जीवन की कविता
Anant Yadav
बेरंग होते रंग
बेरंग होते रंग
Sarla Mehta
*बातें मीठी कर रहे, घोर मतलबी लोग (कुंडलिया)*
*बातें मीठी कर रहे, घोर मतलबी लोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
I hope you will never regret having a good heart. Maybe some
I hope you will never regret having a good heart. Maybe some
पूर्वार्थ
पौत्र (36)
पौत्र (36)
Mangu singh
मगर वो निकला एक पत्थर
मगर वो निकला एक पत्थर
gurudeenverma198
तुम्हें जब सोचते हमदम ज़माना भूल जाते हैं ।
तुम्हें जब सोचते हमदम ज़माना भूल जाते हैं ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
दोहा षष्ठक. . . . जीवन
दोहा षष्ठक. . . . जीवन
sushil sarna
मृत्यु शैय्या
मृत्यु शैय्या
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हर शख्स तन्हा
हर शख्स तन्हा
Surinder blackpen
हार से हार
हार से हार
Dr fauzia Naseem shad
बुरे वक्त में भी जो
बुरे वक्त में भी जो
Ranjeet kumar patre
3749.💐 *पूर्णिका* 💐
3749.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
उम्मीदें कातिलाना होती हैं
उम्मीदें कातिलाना होती हैं
Chitra Bisht
शर्त
शर्त
Shivam Rajput
*कदर ना कर सके मेरी वफाओं का*
*कदर ना कर सके मेरी वफाओं का*
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
बदलाव
बदलाव
Shyam Sundar Subramanian
मन की गाँठें
मन की गाँठें
Shubham Anand Manmeet
पुस्तक समीक्षा- राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
पुस्तक समीक्षा- राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शून्य है यदि पुरूषार्थ का फल।
शून्य है यदि पुरूषार्थ का फल।
Acharya Shilak Ram
।।स्नेह का बन्धन।।
।।स्नेह का बन्धन।।
Brandavan Bairagi
चाय दिवस
चाय दिवस
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
"कार"
Dr. Kishan tandon kranti
अरसे के बाद, तस्लीम किया उसने मुझे,
अरसे के बाद, तस्लीम किया उसने मुझे,
Shreedhar
*भव-पालक की प्यारी गैय्या कलियुग में लाचार*
*भव-पालक की प्यारी गैय्या कलियुग में लाचार*
Poonam Matia
तपती दोपहरी
तपती दोपहरी
Sudhir srivastava
..
..
*प्रणय प्रभात*
उनको अब हमसे प्यार नहीं रहा
उनको अब हमसे प्यार नहीं रहा
Jyoti Roshni
Loading...