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1 Jul 2018 · 1 min read

मुक्तक

विरल से क्यों सब सघन हो गये
खोकर स्वयँ , हस्ताक्षर हो गये
सीखकर ज़िन्दगी से संधियाँ
नाम अपने ही अलग हो गये ।
* सूर्यकान्त द्विवेदी

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 371 Views
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