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12 Jun 2018 · 1 min read

सच और झूठ

सुनना तो चाहते हैं सच मगर
सच बोलने से क्यूँ कतरा जाते हैं लोग,
यदा कदा परहित में झूठ बोल सकते हैं,
स्वहित के लिए क्यूँ झूठ बोल जाते हैं लोग।
पीठ पीछे करते हैं निंदा बार बार,
पर सामने से मक्खन लगा जाते हैं लोग।
सुना था मैंने झूठ के पैर नहीं होते हैं,
यहाँ तो झूठ को बैसाखी बना जाते हैं लोग।
सच बोलने की खाते हैं कसमें हजार,
मगर झूठ का दामन पकड़ जाते हैं लोग।
पर्दे के पीछे खड़े होते हैं सच के साथ,
मंच पर आकर झूठ का साथ निभा जाते हैं लोग।
झूठ बिखेरता है कुटिल मुस्कान यहाँ,
क्योंकि सच बोलने से मुकर जाते हैं लोग।
सत्य यही है सच ही विजयी होता है,
सच बोलकर ईश्वर का साथ पा जाते हैं लोग।
By:Dr Swati Gupta

Language: Hindi
1 Like · 282 Views
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