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31 May 2018 · 1 min read

मेरा यार है कन्हैया मुझे क्या है परेशानी

सब छोड़ कर हुई हूँ कान्हा की मैं दिवानी
कुछ रास अब न आए सोना न खाना पानी
सब०—

धड़कन वो दिल की बनकर, सांसों में बस रहा है

रग रग में रक्त बन कर, वो श्याम बह रहा है

मेरी रूह में उतर कर, बने मेरी ज़िन्दगानी

कुछ०—-

मैं बात हूँ वो सरगम, मैं बूँद हूँ वो सागर

जीवन सफल हुआ है, चरणों की धूल पाकर

नादान थी अभी तक, अब मैं भई सयानी

कुछ०—

भक्तों के वास्ते ये , आते हैं नंगे पाँव

दुख दूर करते “प्रीतम”, बन कर वो ठण्डी छाँव

पग में जगह जो पाऊँ मिल जाए शादमानी
कुछ ०—-

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती(उ०प्र०)

Language: Hindi
Tag: गीत
451 Views
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