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21 May 2018 · 1 min read

वो अब सताने लगें है सपनो में भी आने लगे है

वो अब सताने लगें है
सपनो में भी आने लगे है

वादें तो आसमाँ से चाँद तारे तोड़ लाने के थे
झूठा अब वो हमें बताने लगे है

जब से दिल लगा बैठे है गैरों से
आब भी आँखों से आने लगे है

पसन्द है उन्हें लोगों के बीच मशहूर रहना
अब तो जाम भी लबों पँर लगाने लगे है

जब शराब ही रास्ता है तन्हाइयां मिटाने का
तब से प्याला हम भी आज़माने लगें है

मशगूल है वो अपनों की बस्ती में
वो अपने साए को भी गैर बताने लगें है

ये उनकी मासूमियत है या जमाने का फ़साना
क्यों उनके पीछे सब आने लगे है

झूठे वादें, झूठे किस्से सब दो दिन के मेहमान है
जीत कर खुद को ईद का चाँद वो बताने लगे है

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