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14 May 2018 · 1 min read

15 रागनी किस्सा ताराचंद सेठ लेखक पं मनजीत पहासौरिया

अब ताराचंद चन्द्रगुप्त को अपने घर ले आते है। धर्ममालकी यह बात पता तो आगे क्या होता है,,,,

साधू आल्ला बाणा तारकै, धर दिया एक ओड़
हटकै मिलगे दिल्ली मै, देख राम के जोड़..!!टेक!!

साधू आल्ले वस्त्र तार, लागी हूर करण सिंगार,
मानष देखै घड़ी चार, चमकती दिखै खोड़..!!१!!

भाग गया जाग सोया, हटके मिलगा पति खोया,
बेमाता का लिखा होया, मिटता ओन्या तोड़..!!२!!

बख्त आया कितना ए खोटा, ठाया कोन्या पाप भरोटा,
कटज्या दूख मोटा, जै सही राह पै मिलज्या मोड़..!!३!!

गूरु कपीन्द्र नै धर्म की जाण, ना व्यर्था कहण की बाण,
मनजीत पहासौरिया आण, जगत मै मतना करै मरोड़..!!४!!

रचनाकार:- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं:- 9467354911
Email:- pt.manjeetpahasouriya@gmail.com

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