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14 May 2018 · 1 min read

गजल

खयाल ख्याल में यूँ ही नही गिला करते
तसव्वुरात के पर्दे नही हुआ करते।।

ये जिंदगी जो सताने लगे खुदी को जब
यूं जिंदगी के ब्यानात नही कहा करते

कहेगें कैसे हैं गुजरी फटी सी चादर में
निगहबां है खुदा फिर नही गिला करते

है वास्ता यूँ गमो से ओ जिंदगी तेरा
तो बेख्याली में भी गम नही सहा करते

बनाके बैठे उसे गीत साँस अपनी हम
वो बेबफा जो किसी के नही हुआ करते।।

संगीता गोयल “गीत”

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