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6 May 2018 · 1 min read

अवसर

अवसर

जिंदगी में कुछ अवसर ऐसे बीत गये,
हम सोये रहे अहम की चादर पर और दिन रात बीत गये।

जागते भी कैसे चारो और से आ रही थी खुशियों की बारात,
नही देखी थी कभी हमने दुखों की कालीरात।।।।।।

उनके पहलू में जाकर कुछ हमको हुआ था गुमान,
हम कुछ वक्त के लिये भूल गये अपनों का करना मान सम्मान।।।।।।

जब देखा पलट कर तो सब अपने लौट गये थे वापस,
अपना कहने को नही था दुनियां में पास।।।।।

अपनो की समजाइस को हम गलत मशवरा समझ बैठे थे,
जो हमारी गलती पर बार बार पर्दा गिराते रहते थे।।।

अवसर हम खुद ही वो सुनहरा गवा बैठे है।
नही आयेगा अब वो पल सुधरने का हम गंभीर चोट खाये बैठे है।।।।।।

सोनू ज़रा अब थोड़ा तो सम्भलकर चल लो,
जिंदगी में की गयी गलती की सुधार आज और अभी से तुम कर लो।।।।।

रचनाकार
गायत्री सोनू जैन
कॉपीराइट सुरक्षित

Language: Hindi
292 Views
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