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13 Apr 2018 · 1 min read

एक दोहा ....

लोभ मोह में फँस यहाँ, होते पापी कृत्य.
बाह्य जगत मिथ्या यहाँ, अंतर्मन ही सत्य..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’

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