Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
31 Mar 2018 · 1 min read

ये दिल के जख्म फिर से उभरने लगते है -रस्तोगी

जब कभी याद आती है मुझे तुम्हारी
ये दिल के जख्म फिर से उभरने लगते है

आ जाता है तेरा चेहरा आँखों के सामने
जब तेरी गली से हम गुजरने लगते है

जब कभी सुनता हूँ कही आवाज तुम्हारी
तुम्हारी यादो के जख्म उभरने लगते है

चलती है तेज हवाये बरसात के मौसम में
तुम्हारे गेसू चेहरे पर बिखरने लगते है

करते है जो गलत काम ओर अफवाह फैलाते है
अपने आप ही लोगो के चेहरे उतरने लगते है

रस्तोगी की यादो के जख्म जब भरने लगते है
किसी बहाने तुम्हे हम याद करने लगते है

आर के रस्तोगी

Loading...