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27 Mar 2018 · 1 min read

ज़िंदगी

जिंदगी-ऐ-हक़ीकत में हँसना है मना ।
ख़यालों में ही मुस्कुरा लूँ मैं जरा ।
यूँ ही चलते चलते हो जाएगी फ़ना ,
ज़िंदगी बस तेरी एक यही रज़ा ।
….. विवेक दुबे”निश्चल”@…

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