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8 Mar 2018 · 1 min read

बसन्त पँचमी

वसंत वीणा की कोई धुन है,,
झुली डालियों पर तरु की पत्ती पर फूल है।

संगीत शास्त्र में यह एक राग है,,
ऋतुओं में वसंत एक महाराज है ।

वसंत बरसात रूपी की चादर नही ,,
यह तो पीताम्बर पहने तितलियों की झन्कार है ।

मानो कन्हैया की वंसी की तान है ,,
ऐसा मेरा रंगमय भारत हिंदुस्तान है ।

भास्कर की किरणों में कई बिछी धरती पर जटाएं है,

ऊष्मा , आशावाद , श्रदा की झलक की महकाए है ।

आज से लिखे स्लेट पट्टी पर अक्षरारम्भ है,
जो है माँ सरस्वती का दिन वसंत है।

एक एक अक्षर इस तरह जानो,,
जैसे लयमय में बजे पियानो ।

करू सबको आज वसंत पंचमी का चरणों में शीश वंदन ,,
दिल से ❤ सबको मेरा हार्दिक अभिनंदन ।

आज से ही बना ले अच्छा हम नियम ,,,
प्रवीण भी बजाना सीखे हार्मोनियम ।

✍प्रवीण शर्मा ताल
जिला रतलाम
तहसील ताल
टी एल एम् ग्रुप संचालक

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